ट्रैफिक जाम रोज़ हमारी ज़िंदगी का बड़ा हिस्सा खाये जा रहा है। किस शहर का नाम लिया जाए और किसका नहीं, आलम यह है कि आदमी अपने परिवार से ज़्यादा समय ट्रैफिक जाम से ज़्यादा सामने या बगल वाली कार को देखते हुए बिता रहा है। हर मुल्क में इस जाम से मुक्ति के कुछ न कुछ प्रयोग हुए हैं, मगर मुक्ति कहीं नहीं मिली।