अगर हमें इस देश में भ्रष्टाचार से लड़ना है तो छोटे समझौते नहीं कर सकते. क्योंकि जब हम ऐसे छोटे समझौते करते हैं तो हम हर चीज़ पर समझौता कर लेते हैं. ये शब्द मेरे नहीं हैं पर सुनने में बहुत अच्छे लगते हैं. खासतौर से तब जबकि कोई बड़ा नेता बोले. तो किस समझौते की बात कर रहे थे राहुल गांधी. दरअसल, जुलाई 2013 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया कि अगर कोई सांसद या विधायक दोषी पाया जाता है और उसे दो साल की सजा होती है तो सदन से उसकी सदस्यता तुरंत चली जाएगी. इससे तब की यूपीए सरकार दबाव में आई क्योंकि न सिर्फ उसके एक राज्य सभा सांसद राशिद मसूद पर तलवार लटकी बल्कि सबसे भरोसेमंद सहयोगी लालू प्रसाद पर भी जिन पर चारा घोटाले में जल्दी ही फैसला आने वाला था. तब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए अध्यादेश लाने का फैसला किया. इसकी तीखी आलोचना हुई.