केरल में होने वाले ख़ूनी राजनीतिक संघर्ष की खबर उत्तर भारत तक कम ही पहुंच पाती है। जिस तरह से केरल की राजनीतिक हिंसा के प्रति हम सामान्य होते जा रहे हैं, वह चिन्ताजनक है। राजनीतिक हिंसा में मारे गए लोगों की छानबीन करेंगे तो बीजेपी-आरएसएस के लोग भी मारे जाते हैं, कांग्रेस के नेता भी मारे गए हैं, वाम दलों के नेता भी मारे गए हैं। कोई वाम दलों की लाइन पर चलना छोड़ देता है, वो भी हिंसा का शिकार हुआ है मगर मुख्य लड़ाई बीजेपी और सीपीएम के कार्यकर्ताओं के बीच दिखती है।