अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिन की सरकार एक ऐसी कहानी है जो भारतीय लोकतंत्र की एक अद्भुत मिसाल है. यह कहानी सिद्धांतों और ईमानदारी की मिसाल है.1996 के आम चुनावों में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। बीजेपी ने 161 सीटें जीतीं और सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने संवैधानिक परंपरा निभाते हुए बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया।अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन बहुमत के लिए ज़रूरी 272 सीटों से बीजेपी काफी दूर थी। तमाम कोशिशों के बावजूद साथ देने वाले गिने-चुने साथी ही मिले, और बीजेपी 194 सीटों तक ही पहुंच सकी। लोकसभा में बहुमत साबित करने के दौरान विपक्ष ने तंज कसा, लेकिन अटल जी अपने फैसले पर अडिग थे। उनके भाषण ने सबको चुप कर दिया, और उन्होंने कहा, ‘हम संख्या बल के आगे सिर झुकाते हैं, लेकिन देश निर्माण के उद्देश्य से पीछे नहीं हटेंगे।’ यह भाषण अटल जी को जनता का नेता बना दिया, लेकिन इसके बाद, सिर्फ 13 दिनों में उनकी सरकार गिर गई। यहीं से शुरू हुआ गठबंधन सरकारों का दौर, जो आज तक जारी है। देखिए ये रिपोर्ट.