स्वस्थ इंडिया टेलीथॉन में प्रसून जोशी ने कहा, "हर साल हम खुद को प्रतिबद्ध करते हैं और इसके लिए काम करते हैं. यह वर्ष किसी को पीछे नहीं छोड़ने के बारे में है. हमारे समाज में "दुर्भाग्यपूर्ण" शब्द था. मुझे नहीं पता कि यह शब्द "हारे हुए" से कब बदल गया. महामारी ने हमें किसी तरह एकजुट किया है."