कांग्रेस पार्टी के पास एक नया प्रमुख है, लेकिन क्या मल्लिकार्जुन खड़गे वह बदलाव ला पाएंगे जिसकी पार्टी को जरूरत है? या नई बोतल में पुरानी शराब होगी?
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