पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनावों में जो हुआ है वह शर्मनाक है. चुनाव पूर्व हिंसा के बाद भी चुनाव के समय हिंसा पर काबू नहीं पाया जा सका. अगर हम इसी तरह हर चुनाव में पहले या बाद में हिंसा की इस संस्कृति को बर्दाश्त करते चले गए तो एक दिन लोकतंत्र का सिर्फ खंडहर बचेगा. बंगाल के चुनावों में हिंसा की संस्कृति स्थायी होती जा रही है जिसका लाभ आप ग़ौर से देखिए तो हर कोई अपने अपने मौके के हिसाब से उठा रहा है. चुनाव आयोग को शायद और बेहतर तैयारी करनी चाहिए थी.