याकूब मेमन की फांसी हो गई लेकिन कई सवाल खड़े कर गई। सवाल फांसी को लेकर, न्यायिक प्रक्रिया और बेगुनाहों की मौत के लिए इंसाफ़ से शुरू हुए थे, लेकिन ये सवाल केवल इस अध्याय तक सीमित नहीं रह कर बहुत आगे और देर तक सामने रहने वाले हैं, क्योंकि ये केवल एक आतंकी को फांसी और पीड़ितों के लिए न्याय का मसला नहीं रह गया है जिनके परिवार 93 के धमाकों में बिखर गए थे।