अरविंद केजरीवाल के रेफरेंडम के प्रस्ताव को लेकर एक तरह की संवैधानिक बहस भी छिड़ गई है। ये सवाल पूछा जा रहा है कि क्या देश को चुनाव के अलावा किसी और जनमत संग्रह की ज़रूरत है? रेफरेंडम या जनमत संग्रह अरविंद केजरीवाल के लिए नई चीज़ नहीं है। 2013 में उनकी आम आदमी पार्टी ने ये रेफरेंडम कराया था कि वो कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाए या नहीं, लेकिन वो आम आदमी पार्टी का जनमत-संग्रह था, दिल्ली सरकार का नहीं। इस बार दिल्ली सरकार ने अपने शहरी विकास मंत्रालय से जनमत संग्रह की फीजीबिलिटी पर राय मांगी है।