अच्छी-खासी कहानी को पलीता लगाना कोई बॉलीवुड से सीखे. इस हुनर में बॉलीवुड का कोई सानी नहीं है. ऐसा ही कुछ 'करीब करीब सिंगल' में भी किया गया है. फिल्म ऑनलाइन डेटिंग और अधेड़ उमर के प्रेम के इंट्रेस्टिंग कॉन्सेप्ट पर बेस्ड है. इरफान खान और साउथ की पार्वती जैसे सधे हुए कलाकार हैं. पहले हाफ में जबरदस्त बिल्डअप भी है, लेकिन सेकंड हाफ में आकर ऐसा लगता है कि फिल्म की कोई कहानी रह ही नहीं गई है. डायरेक्टर समझ नहीं पा रही हैं कि उन्होंने जो रायता फैलाया है उसे कैसे समेटें. सीन काफी खींचे हुए लगते हैं, पार्वती की एक्टिंग भी बिखर कर रह जाती है, और कुछ भी एक्साइटिंग नहीं बचता है.