रोज़ा इफ़्तार का मौसम है.नेता दावत का न्योता भी दे रहे हैं और ले भी रहे हैं. लेकिन मंत्रिमंडल में शामिल होने के न्योते पर घमासान है. दिल्ली में मोदी मंत्रिमंडल में अनुपातिक प्रतिनिधित्व यानी प्रपोशनल रिप्रजेंटेशन न मिलने के बाद नीतीश कुमार ने सूत समेत बदला, बिहार सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में निकाल लिया. अपने लोग भर लिए. मजबूरी में बीजेपी को कहना पड़ा कि हम अपना हिस्सा बाद में भरेंगे. बीजेपी और जेडीयू के रिश्तों में अभी एक ओढ़ी हुई अच्छाई दिखाई दे रही है लेकिन ये कब तक चलेगा? क्या 2020 के विधानसभा चुनाव में अलग होने की नींव रख दी गई है?