प्रधानमंत्री का भाषण कश्मीर से मुक्त था, जगत कल्याण का आह्वान कर रहा था. उन्होंने पाकिस्तान को भी निशाना नहीं बनाया लेकिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान प्रधानमंत्री से लेकर आरएसएस तक को निशाना बनाया. संयुक्त राष्ट्र के मंच का प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ इस्तमाल किया. गुजरात दंगों से लेकर संघ के एजेंडा के बारे में बात की. कश्मीर से पहले जलवायु संकट का मसला उठाया कहा कि उसके ग्लेशियर पिघल रहे हैं. अमीर देशों में बने टैक्स हेवन विकासशील देशों को लूट रहे हैं और गरीब बनाते जा रहे हैं. उसके बाद इमरान ने दुनिया भर में मुसलमानों के खिलाफ फैलाए जा रहे भय और धारणा का भी जिक्र किया और कहा कि सितंबर 11 की आतंकी हमले के बाद इस्लामोफोबिया बढ़ा है. पश्चिम के कुछ देशों और नेताओं ने इस इस्लामोफोबिया को फैलाया है जिसे रोकने में या समझाने में मुस्लिम देशों के नेता भी नाकाम रहे. आतंक का मज़हब से लेना देना नहीं है. सभी समुदायों में रेडिकल तत्व हैं. लेकिन उनका उनके मज़हब से लेना देना नहीं. बताया कि अफगानिस्तान के लिए मुजाहिद ग्रुप को पश्चिम के पैसे से पाकिस्तान ने ट्रेड किया जिन्हें सोवियत आतंकी कहते हैं और पाकिस्तान उन्हें स्वतंत्रता सेनानी कहता है. अब उन्हें पश्चिम आतंकी कह रहा है. इमरान बताते रहे कि सत्ता में आने के बाद इन संगठनों को ध्वस्त करेंगे, पहले भी कहा गया था कि मगर वो संगठन बने रहे. इमरान ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र अपना ऑब्ज़र्वर भेजे और देखे कि पाकिस्तान ने इन मिलिटेंट संगठनों के खिलाफ क्या कार्रवाई की है. जाहिर है भारत इस सफाई से संतुष्ट नहीं होगा.