हिंदी सिनेमा ने 112 साल का सफर तय कर लिया है। इस लंबे सफर में महिलाओं की भूमिका और उनके किरदारों में कई बदलाव आए हैं। 1913 में राजा हरिश्चंद्र के लिए नायिका नहीं मिली, तो अभिनेता अण्णा सालुंके ने तारामती का किरदार निभाया। लेकिन आज हिंदी सिनेमा में महिलाएं न केवल नायिका बल्कि नायक की भूमिका में भी दिखाई देती हैं