जब भी कोई अकेला बोलता है उसका बोलना किसी भी भीड़ से बहुत बड़ा होता है. अकेला बोलने वाला कमज़ोर से कमज़ोर वक्त में, ताकतवर से ताकतवर सरकार के सामने एक उम्मीद होता है. सरकारें अगर हमेशा जनता के साथ होती तो इसी भारत देश में इसी वक्त में अलग-अलग सरकारों के ख़िलाफ़ सैकड़ों की संख्या में विरोध प्रदर्शन नहीं चल रहे होते. सरकार चुनते तो आप हैं मगर वो हमेशा आपकी नहीं होती है.