भारतीय अदालतों में लोग इंसाफ के लिए चक्कर लगाते रहते हैं. लेकिन न्याय नही मिलता. इसकी एक मिसाल आज बॉम्बे हाई कोर्ट में देखने को मिली. जब खुद पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व यूपी राज्यपाल राम नाईक ने तारापुर अणुशक्ति प्रकल्प पीड़ितों के पुनर्वसन से जुड़ी एक याचिका दी. उन्होंने कोर्ट को बताया कि साल 2004 में जब इंटरविनर के तौर पर याचिका दायर किया था तब धनंजय चंद्रचूड़ बॉम्बे हाई कोर्ट में जूनियर जस्टिस थे और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बन चुके हैं. लेकिन मुकदमा आज भी वहीं हैं.