कुड़मी Andolan के चलते Railway को करोड़ों का नुकसान, ट्रेनें रद्द

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  • प्रकाशित: सितम्बर 21, 2025

 

एक ऐसा आंदोलन जिसकी जड़ें आजादी से पहले के उस दौर में छिपी हैं जब अंग्रेज अपने औद्योगिक फायदे के लिए हमारे देश के आदिवासियों को एक-दूसरे से अलग कर रहे थे। एक ऐसा आंदोलन जो झारखंड की पहचान और अस्तित्व से जुड़ा है, और जिसकी आग अब रेल की पटरियों तक पहुंच गई है। ये कोई साधारण मांग नहीं है, बल्कि एक समुदाय की सदियों पुरानी लड़ाई है, जिसके पीछे छिपी है एक गहरी साजिश। क्या ये लोग सिर्फ आरक्षण चाहते हैं, या इसके पीछे अपनी जमीन, अपनी पहचान और अपने अस्तित्व को बचाने की एक बड़ी जंग है? आइए, इस कहानी को विस्तार से समझते हैं।