डॉक्टर साहब की पर्ची या तो वह खुद पढ़ पाते हैं या फिर केमिस्ट, मजाक में यह बात कही जाती है। लेकिन यह बात अदालत के लिए तकलीफदेह हो जाता है, खासकर तब जब डॉक्टरों के लिखे से इंसाफ पर आंच आने लगे। महाराष्ट्र में वर्धा के एक डॉक्टर ही इस मामले में हाईकोर्ट पहुंच गए। हाईकोर्ट ने सरकार को तलब किया, तो सरकार की नींद खुली।