15 अप्रैल 1917 के दिन गांधी मोतिहारी पहुंचे थे. मोतिहारी आने से पहले न तो ज़िले का नाम ठीक से जानते थे न वहां पहुंचने का रास्ता मालूम था. न उन्होंने कभी नील का पौधा देखा था. 18 अप्रैल को जब गांधी मोतिहारी कोर्ट की तरफ जा रहे थे, ये बताने कि वे ज़िला छोड़ने की आज्ञा का पालन नहीं करेंगे, किसानों की व्यथा सुनेंगे तो उस वक्त उनके साथ दो हज़ार किसान चल रहे थे. दो दिन के भीतर दो हज़ार लोगों की भीड़ बिना व्हाट्सऐप के, ईमेल के और न्यूज़ चैनल की मदद के, आप उस वक्त की कल्पना करेंगे तो यकीन नहीं होगा.