आप सिर्फ अपने ही शहर और कस्बे के कालेज का हाल पता कर लें कि वहां छात्र कितने हैं और टीचर कितने हैं तो विश्व गुरु बनने की हवाबाज़ी पकड़ में आ जाएगी. सवाल सिर्फ दिल्ली का नहीं है, समस्तीपुर और बलरामपुर का भी. क्यों कॉलेज-कॉलेज शिक्षकों से खाली हैं या फिर शिक्षक के नाम पर अस्थायी शिक्षक रखे गए हैं. जब राज्यों के विश्वविद्यालय खत्म हो गए तो देश भर से छात्र दिल्ली विश्वविद्यालय में आने लगे. क्या दिल्ली विश्वविद्यालय भी उसी राह पर है. अगर आपको दिल्ली विश्वविद्यालय के खंडहर होने से कोई फर्क नहीं पड़ता तो आप मारे खुशी के केक काटें लेकिन याद रखें बर्बाद गांव कस्बों और महानगरों के ही छात्र होंगे. जिसकी कीमत आप अपनी जेब से महंगी फीस देकर चुकाएंगे. अच्छी बात है कि एडहॉक और गेस्ट टीचर अब बोलने लगे हैं और परमानेंट उनका साथ देने लगे हैं. डीयू में करीब 4500 एड हाक टीचर हैं. अब इनसे कहा जा रहा है कि आप एड हाक नहीं रहेंगे अब गेस्ट टीचर होंगे. आज परमानेंट, गेस्ट और एड हाक टीचर ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के इस फैसले के खिलाफ वीसी आफिस का घेराव किया. शिक्षकों का गुस्सा इतना था कि शिक्षक वीसी कार्यालय के भीतर पहुंच गए.