भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में बचाव पक्ष ने एक अमेरिकी डिजिटल फोरेंसिक लैब के हवाले से दावा किया है कि जिन दस्तावेजों के आधार पर पूरा केस बना है वो दस्तावेज रोना विल्सन के लेपटॉप में बने नही बल्कि प्लांट किये गए थे. फोरेंसिक रिपोर्ट का दावा पूरे केस पर सवालिया निशान लगाता है. लेकिन एक सवाल ये भी है कि क्या ये सब संभव है कि बिना उस लैपटॉप के मलिक की जानकारी के कोई फ़ाइल फोल्डर डाला जा सकता है ?ये जानने और समझने के लिए हमने बात की साइबर एक्सपर्ट अंकुर पुराणिक से.