कैराना, गोरखपुर, फूलपुर और नूरपुर की हार के बाद अब बीजेपी को उसके सहयोगी दलों ने आंखें दिखाना शुरू कर दिया है. जो सहयोगी दल राज्यों में ताकत में हैं वे चाहते हैं कि बीजेपी वहां छोटा भाई बन कर रहे. शिवसेना और बीजेपी के बीच बड़े भाई-छोटे भाई का झगड़ा तो 2014 से चला आ रहा है, लेकिन अब बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी के साथ भी बीजेपी की इसी बात पर रस्साकशी शुरू हो गई है. यह झगड़ा इसलिए क्योंकि 2019 के लोक सभा चुनाव में ये सारे भाई मिलकर तो चुनाव लड़ेंगे पर यह इस बात पर निर्भर करेगा कि बड़ा भाई कौन होगा, ताकि ज़्यादा से ज्यादा सीटों पर वह चुनाव लड़ सके. वैसे शिवसेना ऐलान कर चुकी है कि 2019 का चुनाव वह अकेले लड़ेगी, लेकिन पालघर की हार के बाद शायद शिवसेना भी दोबारा इस बात पर सोचे. बीजेपी भी चाहेगी कि शिवसेना साथ रहे ताकि कांग्रेस-एनसीपी को टक्कर दी जा सके.