वे जो कर सकते थे, उन्होंने किया। गोलियां चलाईं और कुछ पत्रकारों और कार्टूनिस्टों को भून दिया, लेकिन गोलियां जितनी तेज़ी से चलती हैं, उससे भी ज़्यादा तेज़ी से उनकी ताकत चुक जाती है। वे जिस्मों में धंसकर रह गईं। वे पेरिस से निकलने वाली साप्ताहिक व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दो का इससे ज़्यादा कुछ नहीं बिगाड़ सकीं।
(चेतावनी : चित्र विचलित करने वाले हैं) (वीडियो सौजन्य : फ्रांस 24)