बांग्लादेश अशांत है. जल रहा है.जिस आंदोलन की शुरूआत छात्रों के असंतोष से हुई थी.उसने देखते ही देखते अराजक शक्ल अख्तियार कर ली.चेहरा भले ही छात्रों का आगे रहा लेकिन उनकी आड़ में कब कट्टरपंथी हावी हो गए पता ही नहीं चला.फिलहाल बाग्लादेश एक अंधा युद्ध लड़ता दिखाई दे रहा है.जिसका धुंआ चारों तरफ फैला है.ये आग कब बुझेगी.कैसे बुझेगी.ये बेकाबू बांग्लादेश कैसे पटरी पर लौटेगा.ये एक बड़ा सवाल है.