महाभारत के चीर हरण वाले सीन के बाद फूट-फूट कर रोई थीं रूपा गांगुली, एक टेक में किया था सीन

क्या आप जानते हैं कि दूरदर्शन की महाभारत में जब रूपा गांगुली ने चीर हरण वाला सीन एक टेक में कर लिया था लेकिन इसके बाद वह बुरी तरह फूट-फूट कर रोई थीं.

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हैप्पी बर्थडे रूपा गांगुली
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नई दिल्ली:

मशहूर अभिनेत्री रूपा गांगुली ने मेहनत और प्रतिभा से लोगों के दिलों में खास जगह बनाई. उन्होंने न सिर्फ अपनी खूबसूरती से दर्शकों का दिल जीता, बल्कि अपने किरदारों में इतनी जान डाल दी कि लोग उन्हें हमेशा याद रखते हैं. खासकर बी.आर. चोपड़ा के टीवी शो 'महाभारत' में निभाया गया उनका द्रौपदी का किरदार आज भी दर्शकों के बीच ताजा है. इस किरदार की एक खास याद चीरहरण से जुड़ी है. चीरहरण के सीन को उन्होंने एक ही टेक में पूरा कर दिया और शूट के तुरंत बाद फूट-फूट कर रोने लगी थीं.

एक्ट्रेस कैसे बनीं रूपा गांगुली? 

रूपा गांगुली का जन्म 25 नवंबर 1966 को कोलकाता के कल्याणी में हुआ. बचपन से ही उन्हें कला और संस्कृति में रुचि थी. शुरू में उनका फिल्म और टीवी की दुनिया में आने का कोई इरादा नहीं था, लेकिन एक बार शादी समारोह में उनकी मुलाकात फिल्म निर्माता बिजॉय चटर्जी से हुई, जो उस समय रवींद्रनाथ टैगोर की बंगाली कहानी 'देनापोना' पर आधारित अपनी हिंदी टेलीफिल्म 'निरुपमा' (1986) के लिए एक नए चेहरे की तलाश में थे. उन्होंने गांगुली को इसके लिए प्रस्ताव दिया.

शुरुआत में तो रूपा गांगुली ने प्रस्ताव को स्वीकार करने में झिझक महसूस की, लेकिन बाद में अपनी मौसी के आग्रह पर उन्होंने हां कह दी. इसमें उनके साथ सौमित्र चटर्जी भी अहम भूमिका में थे. वे रूपा गांगुली के काम से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने अपनी बेटी पौलमी की फिल्म में उन्हें कास्ट करने की सलाह दी.

बंगाली फिल्मों के अलावा, उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों में काम किया, उन्होंने तारिक शाह की हिंदी फिल्म 'बाहर आने तक' (1990) में रमा की भूमिका निभाई. फिल्म को कुछ खास सफलता नहीं मिली. इसके बाद, वह के. बापय्या की 'प्यार का देवता' (1991), राज सिप्पी की 'सौगंध' (1991) और राजकुमार कोहली की 'विरोधी' (1992) जैसी फिल्मों में दिखाई दीं. 1991 में, उन्होंने तुलसी रामसे और श्याम रामसे की निर्देशित ब्लॉकबस्टर कन्नड़ फिल्म 'पुलिस मट्टू दादा' में भी अभिनय किया. 1992 में, वह एवी शेषगिरी राव की तेलुगु फिल्म 'इंस्पेक्टर भवानी' का भी हिस्सा रही और एक ईमानदार पुलिस अधिकारी का किरदार निभाया, जिसका मकसद उसकी मंगेतर की हत्या करने वालों को सजा देना होता है. उसी साल, उन्होंने सुकांता रॉय की बंगाली फिल्म 'पितृऋण' में अभिनय किया.

महाभारत के चीर हरण वाले सीन के बाद फूट-फूट कर क्यों रोई थीं रूपा गांगुली?

हालांकि उन्हें टीवी शो 'महाभारत' से असली लोकप्रियता मिली, जिसमें उन्होंने द्रौपदी का किरदार निभाया. इस रोल ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई. 'महाभारत' में सबसे महत्वपूर्ण सीन 'चीरहरण' का था, जिसे रूपा गांगुली ने सिर्फ एक ही टेक में पूरा कर लिया था. लेकिन जैसे ही शूट खत्म हुआ, वे अपने किरदार की भावनाओं में इतनी खो गईं कि रोने लग गईं.

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पर्सनल लाइफ में भी रही उथल पुथल

रूपा गांगुली का निजी जीवन भी चुनौतीपूर्ण रहा. उन्होंने 1992 में मैकेनिकल इंजीनियर ध्रुव मुखर्जी से शादी की. शादी के शुरुआती सालों में उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा. पति के व्यवहार के कारण वह परेशान रहने लगीं और इस दौरान उन्होंने तीन बार आत्महत्या करने की कोशिश भी की. हालांकि, उन्होंने कभी हार नहीं मानी. 1997 में बेटे आकाश के जन्म के बाद उन्होंने अपने जीवन को नया मोड़ दिया. तलाक के बाद उन्होंने मुंबई में अपने करियर पर ध्यान केंद्रित किया.

अभिनय के अलावा, रूपा गांगुली एक ट्रेन्ड रवींद्र संगीत गायिका और क्लासिकल डांसर भी हैं. उन्होंने कई बंगाली फिल्मों में गाने गाए और इसके लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड भी जीता. उन्होंने अपने ग्लैमर करियर के बाद राजनीति में कदम रखा. साल 2015 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी जॉइन की और बाद में राज्यसभा की मेंबर बनीं. यहां भी वह महिलाओं से जुड़े मुद्दों को लेकर सक्रिय रही हैं.

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