आखिर कैसे अपनी शक्तियों को भूल गए थे हनुमान, श्रीमद रामायण में देखें बाल हनुमान की शक्ति और भक्ति की ताकत

टीवी पर इन दिनों श्रीमद रामायण आ रही है. इसमें इन दिनों हनुमान और उनकी बाल लीलाओं को दिखाया जा रहा है. हनुमान जयंती के मौके पर जानें कैसे बजरंग बली भूल गए थे अपनी ताकत.

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श्रीमद रामायण में देखें बाल हनुमान की लीलाएं
नई दिल्ली:

आज हनुमान जयंती है. इस मौके पर टीवी पर हनुमान की महिमा देखी जा सकती है. क्योंकि सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजज के शो 'श्रीमद रामायण' में माता सीता को खोजने के प्रयास तेज हो गए हैं, क्योंकि भगवान हनुमान ने अपनी वानर सेना के साथ लंका की ओर कदमताल शुरू कर दिया है. इस सफर के दौरान, वे समुद्र के किनारे पहुंच जाते हैं, और उनकी उम्मीदों का बांध टूटना शुरू हो जाता है क्योंकि सेना के पास समुद्र पार करने का कोई साधन नहीं है. तभी जामवंत भगवान हनुमान के सामने पहुंचते हैं और उन्हें उनके जन्म और उन दिव्य शक्तियों का स्मरण कराते हैं, जिनसे उन्हें लंका में माता सीता को खोजने में मदद मिलेगी.

अंजना और केसरी से पुत्र, भगवान हनुमान के पास अद्वितीय शक्तियां थीं, लेकिन इस कारण से वे काफी नटखट और शरारती भी हो गए. इतना कि एक दिन खेलते हुए, उन्हें एक लाल चमकता हुआ गोला दिखाई देता है जिसे वह फल मानते हुए उसे खाने के लिए निकल पड़ते हैं, लेकिन वह वास्तव में सूर्य है. चूंकि अनजाने में ही सही, लेकिन बाल हनुमान ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया था, इसलिए भगवान ब्रह्मा ने हनुमान को श्राप दिया, जिसके कारण भगवान हनुमान अपनी सभी शक्तियों को भूल गए, जो तभी वापस आ सकती थी जब कोई उन्हें उनकी याद दिलाता और उन्हें राम भक्ति का वरदान देता. बाल हनुमान की भूमिका अब्दुल करीम निभाएंगे, जो बच्चे के रूप में भगवान हनुमान की मासूमियत और शरारतों को खूबसूरती से प्रदर्शित करेंगे.

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मौजूदा कहानी के बारे में बात करते हुए, हनुमान का किरदार निभा रहे, निर्भय वाधवा कहते हैं, 'शो श्रीमद रामायण में, बाल हनुमान की कहानी दिखाया जाना किसी साधारण पल से कही बढ़कर है; यह उनकी दिव्यता की गहन अभिव्यक्ति को दिखाता है और क्यों वह भगवान राम के सबसे बड़े भक्त हैं. इस कहानी को जानते हुए, हम उनके बचपन के वर्षों में पहुंच जाते हैं, जहां मासूमियत और असीम शक्तियां एकजुट हो जाती हैं. उनके इस सफर में, हम न केवल उनकी असाधारण शक्तियों के त्याग को देखते हैं, बल्कि यह भी देखते हैं कि कैसे वह इतने विनम्र बनें और प्रभु श्री राम के प्रति उनकी अटूट भक्ति कैसे जन्मी. यह कहानी बड़ी खूबसूरती से हमें याद दिलाती है कि वास्तविक धैर्य का जन्म केवल शारीरिक कौशल से नहीं बल्कि व्यक्ति की आत्मा की पवित्रता से भी होता है.'

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