Doordarshan show Chitrahaar: केबल टीवी आने के बाद टीवी पर चैनलों की बौछार सी आ गई. उससे पहले सिर्फ दूरदर्शन हुआ करता था. जिसका एंटरटेनमेंट की दुनिया पर एकछत्र राज था. उस दौर में दूरदर्शन पर ऐसे शोज भी आते थे जो भरपूर मनोरंजन तो करते ही थे. कोई भी खास अवसर होने पर उसका माहौल भी तैयार कर देते थे. एक हफ्ता पहले से ही दूरदर्शन के दर्शक उस पर्व की खुशी महसूस करने लगते थे. ऐसा ही एक शो आता था चित्रहार. अगर आप अस्सी और नब्बे के दशक के बच्चे हैं तो आपने भी चित्रहार जरूर देखा होगा.
ऐसा था शो चित्रहार
चित्रहार यानी कि चित्रों का हार. असल में ये म्यूजिक चित्रों का हार यानी कि चित्रहार हुआ करता था. जब दूरदर्शन पर ये शो शुरू होने के बाद आधे घंटे सिर्फ गाने ही गाने आया करते थे. चित्रहार शो करीब आधे घंटे की ड्यूरेशन का होता था. शुरुआत में ये शो सिर्फ हफ्ते में एक दिन आया करता था. बाद में इस शो की पॉपुलेरिटी देखकर इसे हफ्ते में दो दिन कर दिया गया था. पंद्रह अगस्त या 26 जनवरी जैसे मौकों पर एक हफ्ते पहले से ही इस शो में देशभक्ति के गीत सुनने को मिला करते थे. जो हर देशवासी को देशभक्ति के भावों से भर देते थे.
चित्रहार और रंगोली
हफ्ते में दो दिन आने वाला चित्रहार कुछ समय बाद पूरे हफ्ते आया करता था. सिवाय शनिवार और इतवार के. इतवार यानी कि रविवार की सुबह रंगोली के साथ हुआ करती थी. ये शो भी हिंदी फिल्मों के गाने पर ही बेस्ड था. अंतर केवल इतना था कि चित्रहार में बैक टू बैक गाने सुनाए जाते थे. जबकि रंगोली में एक एंकर भी हुआ करती थी. जो गाने से जुड़ी भूमिका बांधती थी और गाने की खासियत या उसके पीछे की कहानी भी बताती थी. कोई खास अवसर होने पर रंगोली उसी अवसर की थीम पर बेस हुआ करता था.