दूरदर्शन के जमाने में ऐसे बहुत से शो हुए जिनकी छाप आज भी उस जमाने के दर्शकों के दिलों पर है. नब्बे के दशक में हर फ्लेवर के शोज टेलीकास्ट हुआ करते थे. धार्मिक सीरियल्स की बात करें तो रामायण और महाभारत जैसे सीरियल्स थे. तमस, बुनियाद और हमलोग जैसे शोज थे जो पूरे परिवार के साथ बैठकर देखने लायक शोज हुआ करते थे. कॉमेडी के मामले में भी दूरदर्शन किसी से कम नहीं था. इस पर ये जो है जिंदगी और बहुत सारे ऐसे शोज आए जो हंसा हंसा कर लोटपोट करने में माहिर थे. कॉमेडी की दुनिया में ऐसा ही एक शो था फ्लॉप शो.
हंसाते हंसाते कसते थे तंज
ये शो बनाया था जसपाल भट्टी ने. जसपाल भट्टी का ये शो सेटायर के कॉन्सेप्ट पर बना था. जो उस दौर में जारी करप्शन और समाज के हालात पर बहुत हल्के फुलके अंदाज में तंज कसता था. इसमें जरूरत के हिसाब से पुराने गानों पर बनी पैरोडी का भी सहारा लिया जाता था. हर एपिसोड के शुरू होने से पहले ये बताया जाता कि उस शो में जसपाल भट्टी अपनी टीम के साथ एक नए मुद्दे पर सवाल उठा रहे हैं. मजेदार बात ये है कि शो से पहले बकायदा ये बताया जाता था कि उस एपिसोड में किस पर कटाक्ष होगा. यही वजह थी कि उस 1989 को दूरदर्शन पर शुरू हुआ ये शो लोगों का फेवरेट शो बन गया था.
पति पत्नी की जोड़ी का कमाल
इस शो की खास बात ये थी कि इसमें जसपाल भट्टी के साथ उनकी पत्नी सविता भट्टी भी काम करती थीं. सविता भट्टी की कॉमेडी टाइमिंग भी गजब की थी. विकास शौक भी शो की जान हुआ करते थे. शो की एक खास बात ये भी थी कि हर शो में आर्टिस्ट वही हुआ करते थे. लेकिन उनके किरदार एपिसोड की कहानी के अनुसार बदल जाया करते थे. फ्लॉप शो के दूरदर्शन पर दस एपिसोड टेलीकास्ट हुए. लॉकडाउन के दौरान भी शो का रिपीट टेलीकास्ट हुआ.