दीपिका कक्कड़ को दोबारा हो सकता है कैंसर! पति शोएब इब्राहिम ने दिया हेल्थ अपडेट, बताया- हर 21 दिन में...

Dipika Kakar’s Cancer : शोएब इब्राहिम ने वाइफ दीपिका कक्कड़ के लिवर कैंसर ट्यूमर के दोबारा होने के रिस्क का खुलासा किया और इसके ट्रीटमेंट के बारे में बताया.

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Dipika Kakar, Shoaib Ibrahim: दीपिका कक्कड़ और शोएब इब्राहिम
नई दिल्ली:

Shoaib Ibrahim Reveals Dipika Kakar Health Update: लिवर कैंसर की सर्जरी के बाद दीपिका कक्कड़ अपने घर वापस आ चुकी हैं. वहीं फैंस के साथ लगातार अपडेट शेयर कर रही हैं. इसी बीच शोएब इब्राहिम ने अपने नए व्लॉग में पत्नी दीपिका कक्कड़ के चल रहे ट्रीटमेंट की जानकारी शेयर की है और अपनी डॉक्टर के साथ मीटिंग के बारे में बताया. वीडियो में शोएब ने खुलासा किया कि दीपिका का ट्यूमर काफी अग्रेसिव है, जिसके चलते इसके दोबारा होने के चांस बढ़ जाते हैं. इस खबर के मिलते ही फैंस ने रिएक्शन देना शुरू कर दिया है और एक्ट्रेस के ठीक होने की दुआ की है. 

दीपिका और शोएब उसके फॉलो-अप के लिए डॉक्टरों से मिलने गए. उन्होंने ऑन्कोलॉजिस्ट से भी मुलाकात की. आगे के इलाज के बारे में बात करते हुए शोएब ने बताया कि पहले डॉक्टरों ने सर्जरी के 6 सप्ताह बाद ट्रीटमेंट शुरू करने की सलाह दी थी. वहीं डॉक्टर से मुलाकात के बाद घर जाते हुए शोएब ने बताया कि दीपिका के इलाज के लिए नए डॉक्टर को जोड़ा गया है, जिन्होंने कहा कि दीपिका अब ठीक हैं और अपनी नॉर्मल लाइफ एक्सरसाइज के साथ शुरू कर सकती हैं. जबकि उन्हें वेट ट्रेनिंग और योगा ना करने की सलाह दी गई है. वहीं उन्हें ऑयली और फैट वाली चीजे अवॉयड करने के लिए कहा गया है. 

आगे शोएब ने बताया कि उन्हें शुरू में लगा था कि सर्जरी के बाद इलाज हो जाएगा. लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है. वे कहते हैं कि सौभाग्य से, अभी बॉडी में कैंसर सेल्स नहीं है. लेकिन बायोप्सी रिपोर्ट से पता चला कि ट्यूमर रिपोर्ट में दिखाए गए जोखिम से कहीं ज़्यादा जोखिम भरा था. वे कहते हैं, "यह स्टेज 3 का ट्यूमर था और मेडिकल टर्म के अनुसार यह ठीक से पहचाना नहीं जा सका था. यह काफी आक्रामक था और इसके दोबारा होने का जोखिम ज़्यादा है."

आगे दीपिका ने बताया कि एहतियात के तौर पर दोनों डॉक्टरों ने एक इलाज सुझाया है. शोएब ने बताया कि जब लीवर में कैंसर ट्यूमर होता है तो कीमोथेरेपी काम नहीं करती. जब लीवर प्रभावित होता है तो दो उपचार होते हैं, इम्यूनोथेरेपी या टारगेटेड थेरेपी. टारगेटेड थेरेपी में मरीज को खुराक और अवधि के हिसाब से घर पर हर रोज मुंह से दवा लेनी होती है. दूसरी तरफ इम्यूनोथेरेपी में दवाइयां IV ड्रिप के जरिए दी जाती हैं. हर 21वें दिन मरीज को इलाज के लिए अस्पताल जाना पड़ता है.

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