एक ऐसा गांव जहां हर कोई करता है सिर्फ इस प्राचीन भाषा में बात, वीडियो देख कहेंगे OMG

कर्नाटक का मत्तूर ऐसा गांव है, जहां जिंदगी से जुड़ी हर सुविधा मौजूद है. टेक्नोलॉजी यहां भी दस्तक दे चुकी है. लेकिन फिर भी यह लोग एक प्राचीन भाषा में ही बातचीत करते हैं और इनके जीवन का वह अहम हिस्सा है. जानें कौन सी है यह भाषा...

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इस गांव की भाषा सुनकर रह जाएंगे हैरान
नई दिल्ली:

जिस युग में भाषा को लेकर स्टैंडर्ड तय कर दिए गए हैं. जहां इंग्लिश बोले जाने वाले एजुकेटेड और हिंदी में बात करने वाले कम पढ़े लिखे माने जाते हैं, वहां एक ऐसा गांव भी है जहां की संस्कृति और परंपरा देखकर आपका दिल गदगद हो जाएगा. अब तक आपने पंडितों या महंतों को ही संस्कृत में बात करते हुए सुना होगा लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गांव की सैर पर ले जाते हैं जहां बच्चा बच्चा भी फर्राटेदार संस्कृत बोलता है. यह गांव है कर्नाटक का मत्तूर जो पूरे देश में अपनी संस्कृत भाषा को लेकर मशहूर है. तो देर न करते हुए चलिए जानते हैं आखिर इस गांव की खासियत क्या है. 

भारत देश को अनेकता में एकता के लिए जाना जाता है. यहां के लिए कहा जाता हैं 'घाट घाट पर पानी बदले, कोस कोस पर वाणी'. वैसे तो देशभर में कई भाषाएं और बोलियां बोली जाती हैं लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे गांव के बारे में जहां बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी सिर्फ संस्कृत में बात करते हैं. इस गांव को अगर आप संस्कृत भाषा का गांव कहें तो भी गलत नहीं होगा. हिस्ट्री चैनल के लोकप्रिय शो 'ओएमजी! यह मेरा इंडिया' का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें इस गांव की पूरी जानकारी दी गई है. इस गांव के लोगों का सिर्फ एक ही उद्देश्य है भारत की इस प्राचीन भाषा को बचा कर रखना.

यहां के संस्कृत आचार्य मानते हैं कि संस्कृत भाषा के अध्ययन से प्रेम, विश्वास और दृढ़ संकल्प मजबूत होता है. इस वीडियो में संस्कृत को लेकर कई ऐसी दिलचस्प बातें बताई गई हैं जिनके बारे में शायद आपने आज तक कभी नहीं सुना होगा. क्या आपको पता है कि संस्कृत एक नहीं बल्कि कई भाषाओं की जननी है.

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मत्तूर गांव नदी के किनारे बेंगलुरु से 300 किलोमीटर दूरी पर स्थित है. हैरान कर देने वाली बात यह है कि इस गांव के आस-पास के गांव में लोग कन्नड़ भाषा में बात करते हैं लेकिन इस गांव में हर कोई सिर्फ संस्कृत बोलता है. इस गांव के लोग ही नहीं बल्कि दूर-दूर से माता-पिता अपने बच्चों को यहां संस्कृत पढ़ने भेजते हैं. यहां के संस्कृत आचार्य का कहना है कि 15 दिन में संस्कृत सीखी जा सकती है बस उसके लिए दृढ़ संकल्प और वहां रहने की जरूरत है.

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गांव के लोग संस्कृत में बात करते हैं इसका मतलब यह नहीं कि आप इन्हें आदिकाल का समझें. इस गांव के लोग बाकी शहरों की तरह हाईटेक हैं. इस गांव के लोग इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का इस्तेमाल भी करते हैं.  गांव में एक तरफ जहां मंत्रोच्चारण की गूंज है तो दूसरी तरफ 21वीं सदी की सारी फैसिलिटी भी हैं.  यह गांव अपने आप में किसी मिसाल से कम नहीं है. ट्विटर पर इस वीडियो को History Tv18 के नाम के अकाउंट से शेयर किया है.  वीडियो शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है इस गाँव की भाषा को सुनकर ऐसा लगेगा भूतकाल में आ गए हैं. 

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