नई दिल्ली:
भारतीय हॉकी टीम वर्ल्ड हॉकी लीग के सेमीफ़ाइनल में पहुंच गई है। ग्रुप मुक़ाबलों में भारत ने फ्रांस, पोलैंड को हराया, वहीं पाकिस्तान के खिलाफ हाई-प्रोफ़ाइल मुकाबला ड्रॉ रहा।
ऑस्ट्रेलिया से भारत को कड़ी चुनौती मिली और भारत इस चुनौती में पूरी तरह नाकाम रहा। ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 6-2 से रौंद दिया, लेकिन फिर भी रियो ओलिंपिक खेलों के लिए पहले ही क्वालिफ़ाई कर चुकी टीम इंडिया के लिए कुछ खिलाड़ी हैं, जिनका प्रदर्शन बेहद शानदार रहा।
देविंदर वाल्मिकी - अपने बड़े भाई युवराज वाल्मिकी की छाया से निकलने में आखिरकार देविंदर कामयाब रहे। यह उनका पहला विदेश दौरा था और उन्होंने डिफेंडर होने के बावजूद भी जब मौक़ा मिला, किसी को निराश नहीं किया। देविंदर ने पोलैंड और फ्रांस के खिलाफ ग्रुप मुकाबलों में गोल किए। 23 साल के देविंदर ने उम्मीद बंधाई है कि अगले कुछ सालों तक वाल्मिकी भाई हॉकी मैदान पर छाए रहेंगे।
रमनदीप सिंह - पाकिस्तान के खिलाफ़ भारत के बेहद हाई-प्रोफ़ाइल मुक़ाबले में रमनदीप सिंह ने दो गोल किए और मुक़ाबला ड्रॉ करवाया। 23 साल के रमनदीप ने बड़ी टीम के खिलाफ़ बेहतरीन प्रदर्शन किया। चाहें फील्ड गोल करना हो या फिर अपने बॉल कंट्रोल से विरोधियों को छकाना हो, रमनदीप ने हर किसी को प्रभावित किया। इन्हीं खूबियों की वजह से वह ऑस्ट्रेलिया जैसी मज़बूत टीम के खिलाफ भी गोल करने में कामयाब रहे।
जसजीत सिंह - पेनल्टी कॉर्नर से गोल करना भारत की कमज़ोरी रही है और भारत के नए हॉकी कोच की कोशिश रही है कि पेनल्टी कॉर्नर के लिए किसी युवा खिलाड़ी को आज़माया जाए। वीआर रघुनाथ और रुपिंदर पाल सिंह की गैर-हाज़िरी में जितने मौके जसजीत को मिले उतने में उन्होंने बता दिया कि उनमें कितना दम है।
मलेशिया के खिलाफ जब भारत 1-2 से पिछड़ रहा था तब आखिरी क्वार्टर में जसजीत ने दो गोल ड्रैग-फ़्लिक से करके भारत को जीत दिला दी। जसजीत के खेल ने उन्हें फैंस और अपनी टीम के खिलाड़ियों के बीच हिट जरूर बना दिया है।
ऑस्ट्रेलिया से भारत को कड़ी चुनौती मिली और भारत इस चुनौती में पूरी तरह नाकाम रहा। ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 6-2 से रौंद दिया, लेकिन फिर भी रियो ओलिंपिक खेलों के लिए पहले ही क्वालिफ़ाई कर चुकी टीम इंडिया के लिए कुछ खिलाड़ी हैं, जिनका प्रदर्शन बेहद शानदार रहा।
देविंदर वाल्मिकी - अपने बड़े भाई युवराज वाल्मिकी की छाया से निकलने में आखिरकार देविंदर कामयाब रहे। यह उनका पहला विदेश दौरा था और उन्होंने डिफेंडर होने के बावजूद भी जब मौक़ा मिला, किसी को निराश नहीं किया। देविंदर ने पोलैंड और फ्रांस के खिलाफ ग्रुप मुकाबलों में गोल किए। 23 साल के देविंदर ने उम्मीद बंधाई है कि अगले कुछ सालों तक वाल्मिकी भाई हॉकी मैदान पर छाए रहेंगे।
रमनदीप सिंह - पाकिस्तान के खिलाफ़ भारत के बेहद हाई-प्रोफ़ाइल मुक़ाबले में रमनदीप सिंह ने दो गोल किए और मुक़ाबला ड्रॉ करवाया। 23 साल के रमनदीप ने बड़ी टीम के खिलाफ़ बेहतरीन प्रदर्शन किया। चाहें फील्ड गोल करना हो या फिर अपने बॉल कंट्रोल से विरोधियों को छकाना हो, रमनदीप ने हर किसी को प्रभावित किया। इन्हीं खूबियों की वजह से वह ऑस्ट्रेलिया जैसी मज़बूत टीम के खिलाफ भी गोल करने में कामयाब रहे।
जसजीत सिंह - पेनल्टी कॉर्नर से गोल करना भारत की कमज़ोरी रही है और भारत के नए हॉकी कोच की कोशिश रही है कि पेनल्टी कॉर्नर के लिए किसी युवा खिलाड़ी को आज़माया जाए। वीआर रघुनाथ और रुपिंदर पाल सिंह की गैर-हाज़िरी में जितने मौके जसजीत को मिले उतने में उन्होंने बता दिया कि उनमें कितना दम है।
मलेशिया के खिलाफ जब भारत 1-2 से पिछड़ रहा था तब आखिरी क्वार्टर में जसजीत ने दो गोल ड्रैग-फ़्लिक से करके भारत को जीत दिला दी। जसजीत के खेल ने उन्हें फैंस और अपनी टीम के खिलाड़ियों के बीच हिट जरूर बना दिया है।
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