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This Article is From Jan 22, 2012

कलमाड़ी को कारण बताओ नोटिस से आईओए में मचा घमासान

नोटिस में कहा गया है, ‘यह कारण बताओ नोटिस आप तीनों कलमाड़ी, भनोट और वर्मा के खिलाफ है। आपको कारण बताना है कि संघ और महासंघ से आपकी सदस्यता रद्द क्यों नहीं की जाए।’
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नई दिल्ली: भारतीय ओलिंपिक संघ (आईओए) में चल रहे आंतरिक द्वंद्व ने रविवार को तब नाटकीय मोड़ ले लिया जब राष्ट्रमंडल खेलों के बर्खास्त अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी के लिए आईओए के भंग नैतिक आयोग के कारण बताओ नोटिस को जारी किया गया जिसके बाद चार पदाधिकारियों ने इसे ‘मनगढंत और गैरकानूनी’ देकर बचाव किया।

आरोप और प्रत्यारोपों वाले दिन छह दिसंबर 2011 के कारण बताओ नोटिस को जारी किया गया। यह नोटिस नैतिक आयोग ने दिया था। आईओए के पदाधिकारियों ने हालांकि तुरंत ही इसे ‘मनगढंत और गैरकानूनी’ बताने में देर नहीं लगायी। नैतिक आयोग को आईओए की आम सभा ने 15 दिसंबर को भंग कर दिया था। कलमाड़ी को भेजे गए कारण बताओ नोटिस में कहा गया है, ‘यह कारण बताओ नोटिस आप तीनों सुरेश कलमाड़ी, ललित भनोट और वी के वर्मा के खिलाफ है। आपको कारण बताना है कि भारतीय ओलिंपिक संघ और राष्ट्रीय खेल महासंघ से आपकी सदस्यता रद्द क्यों नहीं की जाए।’ बाद में आईओए के चार पदाधिकारियों ने इन रिपोटरें को बकवास करार दिया और कार्यवाहक अध्यक्ष से इस मामले की जांच करने की अपील की। कलमाड़ी को नोटिस भेजने की रिपोटरें को आधारहीन करार देते हुए आईओए कार्यकारिणी के इन सदस्यों ने आयोग के इस तरह के नोटिस दिये जाने को ‘मनगढंत’ तथा इसके द्वारा तैयार की गयी रिपोर्ट को ‘गैरकानूनी और अनधिकृत’ करार दिया।

इस विज्ञप्ति पर आईओए के दो संयुक्त सचिव राकेश गुप्ता और एस एम बेदी तथा कार्यकारी बोर्ड के दो सदस्यों राजीव मेहता और आनंदेश्वर रेड्डी के हस्ताक्षर हैं। विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘पहले गठित नैतिक आयोग को 15 दिसंबर 2011 को आम सभा की बैठक में निरस्त कर दिया गया था और कार्यवाहक अध्यक्ष को नये नैतिक आयोग के गठन के लिये अधिकृत किया गया था। कार्यवाहक अध्यक्ष ने नये नैतिक आयोग का गठन कर लिया है और इसके नियम और कानून बनाने की प्रक्रिया जारी है और यह उसी हिसाब से कामकाज करेगी।’

विज्ञप्ति के अनुसार, ‘नैतिक आयोग ने अब तक बैठक तक नहीं की है तो फिर जिस तरह की रिपोर्ट आयी है उनका सवाल ही पैदा नहीं होता। यहां तक कि कारण बताओ नोटिस जारी किये बिना ऐसी कार्रवाई नहीं की जा सकती है और इस मामले में इस तरह का नोटिस किसी को जारी ही नहीं किया गया है। यह कहने की जरूरत नहीं है कि इस तरह के आयोग की कोई भी रिपोर्ट आईओए आम सभा के समक्ष मंजूरी के लिये रखी जाती है।’

सदस्यों ने आईओए के कार्यवाहक अध्यक्ष विजय कुमार मल्होत्रा से इस मामले की जांच करने की अपील की कि आखिर कैसे ‘गैरकानूनी और अनधिकृत रिपोर्ट’ मीडिया में लीक हो गयी। इस लीक हुए नोटिस को आईओए ने खारिज किया है और मल्होत्रा से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि नैतिक समिति से उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं मिली है। लेकिन इसे कलमाड़ी पर आईओए पद से इस्तीफा देने के दबाव में रूप में देखा जा रहा है क्योंकि एक गुट उनका विरोध कर रहा है। आईओए के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि भंग पैनल के पत्र को जारी करने से पता चलता है कि आईओए में भी राजनीति चल रही है।

उन्होंने कहा, ‘यदि भंग समिति का इस तरह का कारण बताओ का पत्र अस्तित्व में है तो इसे अब जारी क्यों किया गया। साफ है कि किसी तरह का खेल खेला जा रहा है। अब नयी समिति के पास संवैधानिक अधिकार है और नियम तैयार किये जा रहे हैं।’ आईओए के बीच चल रहे इस ड्रामे से अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक समिति भी वाकिफ है जिसने आईओए को पत्र लिखकर कलमाड़ी की ‘वर्तमान और उनकी अदालत में स्थिति’ स्पष्ट करने के लिये कहा है। कलमाड़ी 2010 राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन के संबंध में भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल जाने से पहले आईओए के अध्यक्ष थे। उन्हें नौ महीने जेल में बिताने के बाद दो दिन पहले ही जमानत पर रिहा किया गया है। आईओए में प्रशासक का पद भी साफ नहीं है।

कलमाड़ी ने अभी खुद को इससे दूर ही रखने का फैसला किया है लेकिन अधिकारिक रूप से उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है तथा विजय कुमार मल्होत्रा लगभग पिछले एक साल से कार्यवाहक अध्यक्ष बने हुए हैं।

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