गोरे रंग को आइडियल ब्यूटी माना जाता है. लेकिन क्या होगा अगर वहीं गोरा रंग मानव जाति के अंत का कारण बन जाए? क्या होगा अगर चंद्रमा किसी दिन ठीक पृथ्वी के करीब आ जाए? ऐसी कई कल्पनाएं इंसानी दिमाग में करवट ले सकती हैं, लेकिन क्या यह सब वाकई संभव है! हालीवुड में इन कल्पनाओं पर अनगिनत फिल्में बनी हैं. डायरेक्यर रोलैंड एमेरिच अपनी अगली साइंस-फिक्शन फिल्म ‘मूनफॉल' में कुछ ऐसी ही कल्पनाओं को दिखाएंगे. इससे पहले वह 'स्वतंत्रता दिवस', 'द डे आफ्टर टुमॉरो', '10,000 बीसी' जैसी फिल्मों बना चुके हैं. ‘मूनफॉल' 11 फरवरी को रिलीज होगी.
यह फिल्म एक पूर्व अंतरिक्ष यात्री और नासा में काम करने वाले साइंटिस्ट (हाले बेरी) पर केंद्रित है. उसे अपने अंतरिक्ष यात्री साथी (जॉन ब्रैडली) के साथ मिलकर पृथ्वी को भारी आपदा से बचाना है. यह पृथ्वी के लिए आखिरी मौका है, क्योंकि चंद्रमा का ग्रह के साथ घातक टक्कर होने वाली है और वह अपने रास्ते में है. हाले बेरी को कहीं से कोई मदद नहीं मिल रही. सर्वनाश होने वाला है. पूरी फिल्म इसी के इर्द गिर्द है. फिल्म में काफी कुछ रोमांचक दिखाया गया है.
इस साइंस फिक्शन फिल्म को भारतीय स्क्रीन पर लाने के बारे में बात करते हुए पीवीआर पिक्चर्स के सीईओ कमल ज्ञानचंदानी कहते हैं, 'चाहे 'गॉडजिला' हो या '2012', रोलांड एमेरिच ये फिल्में बड़ी ब्लॉकबस्टर हैं. पीवीआर को अपनी आगामी फिल्म ‘मूनफॉल' से बड़ी सफलती की उम्मीद है. ‘मूनफॉल' रोमांचक, प्रेरणादायक और कल्पना से भरी एक भव्य मनोरंजक फिल्म है.' ‘मूनफॉल' को हिंदी, तमिल और तेलुगु भाषाओं में भी डब और रिलीज किया जाएगा.