ये दोस्ती क्रेजी है...आपकी कई पुरानी यादें ताजा कर सकती है ये फिल्म, जय और वीरू की जोड़ी जैसा है कुछ फ्लेवर

ये दोस्ती क्रैजी है इस रिश्ते के हर एक रंग को लेकर पर्दे पर आती है. डायरेक्टर राजू बोनागानी ने इसे बड़ी ही खूबसूरती से पिरोया है.

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पुरानी यादें ताजा करती है ये दोस्ती है क्रेजी
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नई दिल्ली:

दोस्ती की कहानियां कभी पुरानी नहीं होतीं, लेकिन कुछ ही इतनी असली लगती हैं कि अपनी छाप छोड़ सकें. राजू बोनागानी की लेटेस्ट फिल्म, 'यह दोस्ती क्रेजी है', उस पुराने जमाने के चार्म को वापस लाती है. 26 सितंबर 2025 को रिलीज हुई इस फिल्म ने अपनी ईमानदार और रिलेटेबल कहानी से पहले ही दिल जीत लिया. इसे देखकर कुछ लोगों को जय वीरू और टॉप एंड जेरी की खट्टी मीठी नोंकझोंक वाली दोस्ती भी याद आ गई. 

'यह दोस्ती क्रेजी है' कहानी है जो रिलेटेबल लगती है

फिल्म धीरे-धीरे शुरू होती है, दोस्तों की जिंदगी और उनके रिश्तों को दिखाने में समय लेती है. स्क्रीनप्ले नैचुरली बचपन से बड़े होने तक आगे बढ़ता है. हर सीन अगले सीन से आसानी से जुड़ता है. छोटे शहर की गलियों से लेकर बैचलर पैड तक, सेटिंग्स असली लगती हैं. यह दिखावटी या ओवर-द-टॉप नहीं है, लेकिन रियलिज्म आपको बांधे रखता है. बोनागानी छोटी-छोटी डिटेल्स पर ध्यान देते हैं, जैसे काम पर एक आदमी या छोटे शहर में एक परिवार. ये छोटी-छोटी बातें कहानी को जमीन से जुड़ा हुआ और रिलेटेबल बनाती हैं.

एमिर शाह फिल्म की जान हैं. मासूमियत से मैच्योरिटी तक उनका किरदार नैचुरल और भरोसेमंद लगता है. शरद वर्मा ने मजेदार पलों को इमोशनल गहराई के साथ बैलेंस किया है. ऐश्वर्या गौड़ा अपने रोल में चार्म और ईमानदारी लाती हैं. स्क्रीन पर उनकी प्रेजेंस चार्मिंग है और उनके इमोशन अच्छे से उतरते हैं. सपोर्टिंग कास्ट श्रीनिवास भोगीरेड्डी, राजगोपाल अय्यर और ऐश्वर्या जमन ज्योति और दूसरे लोग कहानी में दम भरते हैं और ऑनस्क्रीन दोस्ती को भरोसेमंद बनाते हैं.

राजू बोनागानी का डायरेक्शन और भी बहुत कुछ

बोनागानी ने 2 घंटे 10 मिनट से ज्यादा समय तक कहानी को टाइट और एंगेजिंग बनाए रखा है. क्लाइमेक्स एक स्टेप-बाय-स्टेप इमोशनल बिल्ड है जो एक मजबूत इंप्रेशन छोड़ता है. दिलीप भंडारी का म्यूजिक मूड से मैच करता है, जबकि भावना के लिरिक्स, जिन्हें अब्दुल शेख और केका घोषाल ने गाया है, फ्रेशनेस लाते हैं. कोरियोग्राफी नेचुरल लगती है और कहानी में फिट बैठती है.

फिल्म में कई मजबूत पॉइंट हैं जो इसे देखने लायक बनाते हैं. स्क्रीनप्ले एंगेजिंग और कंसिस्टेंट है, जो कहानी को एक सीन से दूसरे सीन तक आसानी से आगे बढ़ाता है. सेटिंग्स रियलिस्टिक लगती हैं और कैरेक्टर्स रिलेटेबल हैं, जो ऑडियंस को कहानी से कनेक्ट करने में मदद करते हैं. लीड एक्टर्स ने दमदार परफॉर्मेंस दी है, अपने रोल में गहराई और इमोशन लाए हैं. सबसे बढ़कर, क्लाइमेक्स दिलचस्प है और कहानी को अच्छे से जोड़ते हुए एक गहरी छाप छोड़ता है.

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