कौन हैं मुरलीकांत पेटकर, जिनपर बनी है कार्तिक आर्यन की चंदू चैंपियन

कार्तिक आर्यन की चंदू चैंपियन रिलीज होने में एक दिन बाकी है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह मूवी किनसे इन्सपायर्ड है.

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कौन हैं मुरलीकांत पेटकर, जिनपर बनी है चंदू चैंपियन
नई दिल्ली:

कार्तिक आर्यन की चंदू चैंपियन 14 जून को रिलीज होने के लिए तैयार है. कबीर खान द्वारा निर्देशित यह फिल्म बीते कई समय से चर्चा का विषय बनी हुई है. पैरालिंपिक स्वर्ण पदक विजेता मुरलीकांत पेटकर की भूमिका में कार्तिक आर्यन नजर आ रहे हैं और ट्रेलर से ऐसा लगता है कि अभिनेता ने इस किरदार को बखूबी निभाया है. लेकिन बेहद कम लोग जानते हैं कि आखिर मुरलीकांत पेटकर  हैं कौन और उन्होंने देश के लिए क्या किया है. 

मुरलीकांत पेटकर का जन्म 1 नवंबर 1944 को महाराष्ट्र के सांगली के पेठ इस्लामपुर क्षेत्र में हुआ. उन्हें बचपन से ही अलग अलग तरह के खेलों में रुचि थी, लेकिन हॉकी और कुश्ती में उनकी खास इंटरेस्ट था. अपनी वेबसाइट पर, एथलीट ने सेना में शामिल होने के पीछे की मजेदार कहानी शेयर की है. उनका कहना है कि वह पुणे भाग गए और भारतीय सेना की बॉयज बटालियन में शामिल हो गए, ताकि अपने गांव के लोगों द्वारा "मारे जाने" से बच सकें, क्योंकि उन्होंने कुश्ती में गांव के मुखिया के बेटे को हरा दिया था.

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आर्मी ज्वॉइन करने के बाद भी स्पोर्ट्स में बेस्ट थे. वह भारतीय सेना के इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स (ईएमई) कोर में क्राफ्ट्समैन के पद पर तैनात थे और उन्होंने 1964 में टोक्यो में अंतर्राष्ट्रीय सेवा खेल मीट में भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व किया. मुक्केबाजी के लिए एक स्वाभाविक प्रतिभा के साथ, वह रैंक के माध्यम से आगे बढ़े, आखिर में 1965 में राष्ट्रीय खिताब जीता. लेकिन उनकी लाइफ ने 1965 में एक बड़ा मोड़ लिया. दरअसल, इंडिया पाकिस्तान की जंग में पेटकर को नौ गोली लगी. एक गोली उनकी रीढ़ की हड्डी में फंस गई थी, जिसके कारण वह घुटने से नीचे पैरालाइज हो गए. वे लगभग एक साल तक कोमा में रहे और दो साल तक बिस्तर पर रहे. 

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इस बड़े हादसे के बाद भी पेटकर ने अपनी उम्मीद नहीं खोई. उन्होंने स्विंमिंग शुरू की ताकि वह अपनी चोट से ताकत कर सके. इसके बाद 1968 में उन्होंने  पैरालिंपिक में टेनिस और स्विमिंग में भाग लिया. जबकि 1972 में पेटकर पहले भारतीय थे, जिन्होंने ओलंपिक्स में गोल्ड मेडल हासिल किया. 50 मीटर फ़्रीस्टाइल में उनका विश्व रिकॉर्ड समय 37.33 सेकंड था, हालांकि अब इस श्रेणी को मान्यता नहीं दी जाती, लेकिन वे अजेय बने हुए हैं. उनके नाम इंटरनेशनल कॉम्पिटिशन में 12 गोल्ड, नेशनल कॉम्पिटिशन में 34 गोल्ड और स्टेट लेवल पर 40 गोल्ड मेडल शामिल हैं.

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