भोग-विलासिता के युग में इंसान के वजूद को तलाशती फीचर फिल्म है 'हू ऐम आई', यंग टीम की दमदार क्रिएटिविटी 

यह फिल्म अपने अस्तित्व की तलाश करते एक ऐसे युवा की कहानी है, जिसे भौतिकतावादी युग में कई सवाल विचलित करते हैं.

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नई दिल्ली:

राइट क्लिक प्रोडक्शन के बैनर तले बनी पहली हिंदी फ़ीचर फ़िल्म 'हू ऐम आई' शुक्रवार से देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. यह फिल्म अपने अस्तित्व की तलाश करते एक ऐसे युवा की कहानी है, जिसे भौतिकतावादी युग में कई सवाल विचलित करते हैं. उस युवक पर भोग-विलास की मोह माया अपना प्रभाव नहीं छोड़ती. न ही युवक उस आकर्षण के सम्मोहन में कभी फंसता है.

फिल्म की कहानी क्या है?
फिल्म की कहानी मां नर्मदा के आसपास केंद्रित है. भवितव्य (चेतन शर्मा) नाम का एक युवा जो एक कॉलेज में पढ़ने आता है. वह गांव से शहर पहुंचकर अपने आसान से सवालों का जवाब जानना चाहता है. इसके लिए उसने फिलॉस्फी सब्जेक्ट चुना है. कुछ हद तक उसके प्रोफेसर वीएलएन (शशि वर्मा) उसके सवालों का जवाब देते हैं, लेकिन उनकी आसमयिक मौत ने भवतव्य को और विचलित कर दिया है. वह जीवन से जुड़ी कुछ मूलभूत प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए मां नर्मदा के सान्निध्य में पहुंचता है, जहां किसी बड़े महात्मा से उसकी मुलाकात होती है. उनके साथ वह नर्मदा की यात्रा पर निकलता है.

फिल्म की अभिनेत्री (ऋषिका चंदानी) जो अदिति की भूमिका में हैं, को मर्यादित किन्तु सहायक मकान मालकिन की बेटी के रूप में दिखाया गया है. वह वर्तमान में जीना जानती है. वह कई मौकों पर भवितव्य को सहारा देती है. इस बीच कब दोनों के बीच प्यार के अंकुर फूटते हैं, उन्हें पता ही नहीं चलता.

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दोनों का प्यार किस मुकाम को पाता है? भवितव्य के सवाल क्या हैं? और उनके सवालों के जवाब मिलते हैं या नहीं? यह जानने के लिए आप सिनेमाघरों का रुख कर सकते हैं. फिल्म प्रसिद्ध उपन्यासकार अशोक जमनानी द्वारा लिखित उपन्यास 'को अहम' पर आधारित है. फिल्म के निर्माता शिरीष आलोक प्रकाश हैं, जबकि फ़िल्म का निर्देशन शिरीष खेमरिया ने किया है. खास बात ये है कि फिल्म क्रू के अधिकांश लोगों की उम्र 20 से 25 साल के बीच है.

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फिल्म के क्रिएटिव डेवलपमेंट हेड डॉ. आलोक प्रकाश हैं और एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर डॉ. हेमेंद्र शर्मा हैं. फिल्म में चर्चित कलाकार सुरेंद्र राजन, शशि वर्मा, कुसुम शास्त्री ने भी अभिनय किया है. नर्मदा की सुरम्य वादियों और कल-कल छल-छल प्रवाह के बीच मधुर और कर्णप्रिय संगीत का भी सामंजस्य है. कुल मिलाकर निर्माता ने लीक से हटकर अच्छी और गंभीर फिल्म बनाई है.

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