किसी फिल्म के हिट या फ्लॉप का पैमाना उसके फैन्स या दर्शकों का रिएक्शन होता है. हर फिल्म मेकर की कोशिश होती है कि वो जिस जोनर की फिल्म बना रहा है, उससे मिलते जुलते दर्शक खुद को उससे रिलेट कर सकें और उससे जुड़ सकें. यही वजह है कि हिंदी फिल्मों में हमेशा मां की ममता का जज्बाती एंगल फिट किया जाता रहा है. भाई बहन की जुदाई दिखाई जाती है. लव और रोमांस के बीच भी दोस्ती के एंगल को बैलेंस किया जाता है. गुजरे जमाने की आला दर्जे की एक्ट्रेस स्मिता पाटिल ने भी इस फिल्मी गणित पर एक बार बड़ा बयान दिया था. जो अब सालों बाद जाकर वायरल हो रहा है. आपको बताते हैं उस इंटरव्यू में स्मिता पाटिल ने क्या बड़ी बात कही थी.
महिलाओं की कंडिशनिंग और फिल्मी समीकरण
ग्रीनी वाइब्स नाम के इंस्टाग्राम हैंडल पर स्मिता पाटिल के एक इंटरव्यू के कुछ पुराने अंश वायरल हो रहे हैं. ये इंटरव्यू संभवतः दूरदर्शन का है. जिसमें स्मिता पाटिल ये कहती सुनी जा सकती हैं कि फिल्म मेकर्स ये गौर करते थे कि अगर महिला फिल्म देखते हुए रोकर बाहर आई तो समझिए फिल्म हिट होगी. इसके आगे उन्होंने कहा कि इस तरह से महिलाओं की कंडिशनिंग की गई हैं कि वो खुद को कमजोर मानती हैं और फिल्मों में उन्हें और कमजोर दिखाया जाता है.
क्या है इसकी वजह?
स्मिता पाटिल ने अपने इसी इंटरव्यू में ये भी बताया है कि महिलाओं को इस रूप में दिखाने की वजह क्या है. स्मिता पाटिल कहती हैं कि फिल्मों में एक पतिव्रता औरत दिखाई जाती है, जो बेहद कमजोर होती है. उसे कमजोर ही बनाया जाता है, जो मुश्किलों का सामना करती है. इसके बाद महिलाएं स्क्रीन पर दिखने वाली ऐसे ही करेक्टर से खुद को रिलेट करती हैं और ये जस्टिफाई भी कर लेती हैं कि अगर पर्दे पर नजर आ रहे कैरेक्टर को लास्ट में सुकून मिल सकता है, आराम मिल सकता है, उसका पति उसके पास आ सकता है, तो रियल लाइफ में भी उसे आगे चलकर ऐसे ही पॉजिटिव नतीजे मिल सकते हैं.