हिंदी सिनेमा में एक दौर ऐसा भी था, जब दो दो बड़े स्टार्स अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा का दबदबा बढ़ने लगा था. दोनों की बैक टू बैक कई फिल्में बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रही थीं. कई फिल्मों में दोनों एक्टर्स को एक साथ भी देखा गया. इनमें से कुछ दर्शकों को खूब पसंद आई थी. इनमें से एक फिल्म है 'दोस्ताना'. फिल्म में अमिताभ और शत्रुघ्न जो गजब का कमाल किया, वो फिर कभी नहीं हो पाया. आइए जानते हैं इस फिल्म से जुड़ी कुछ दिलचस्प और अनसुनी बातें...
स्ट्रगल के दिनों में एक-दूजे के साथी रहे अमिताभ-शत्रुघ्न
बॉलीवुड फिल्म'दोस्ताना' 1980 में रिलीज हुई थी. इसमें अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा एक साथ नजर आए थे. दोनों स्ट्रगल के दिनों में एक-दूसरे के साथी रहे हैं. इसके अलावा भी बिग बी और शॉटगन कई फिल्मों में नजर आ चुके हैं. 'परवाना' में पहली बार दोनों को किसी एक फिल्म में देखा गया था. इसके बाद 'रास्ते का पत्थर', 'काला पत्थर', 'शान' और 'नसीब' में दोनों ने एक साथ काम किया.
'दोस्ताना' में पहली पसंद नहीं थे शॉटगन
सलीम-जावेद की हिट जोड़ी जब 'दोस्ताना' की कहानी लिख रहे थे, तब बतौर प्रोड्यूसर अपनी पहली फिल्म में यश जौहर देव आनंद के भाई विजय आनंद को निर्देशक बनाना चाहते थे लेकिन तब विजय आनंद 'राम बलराम' और 'राजपूत' जैसी फिल्मों में बिजी चल रहे थे. इसके बाद राज खोसला के बाद डायरेक्शन का काम गया. उस वक्त तक इस फिल्म के हीरो अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना थे. हालांकि, राज खोसला ने जब फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ी तो उन्हें लगा कि वकील के रोल में विनोद खन्ना जान डाल पा रहे हैं. विनोद खन्ना के स्टारडम के हिसाब से ये रोल उन पर शूट नहीं करेगी. इसको लेकर राज खोसला ने यश जौहर से बात की और फिर शत्रुघ्न सिन्हा का नाम फाइन हुआ.
देर से स्टूडियों पहुंचे शत्रुघ्न सिन्हा
इस फिल्म से जुड़ा एक किस्सा काफी चर्चा में रहा है. दरअसल, फिल्म की शूटिंग के दौरान ही शत्रुघ्न सिन्हा के मेकअप मैन प्रसाद का निधन हो गया था. जब शॉटगन उनका अंतिम संस्कार कर लौटे तो शूटिंग पर नहीं आ रहे थे. यश जौहर ने एक दिन उन्हें फोन लगाया और कहा कि महबूब स्टूडियो में लगा फिल्म का सेट हटाया जाना है , क्योंकि अमिताभ बच्चन की भी आखिरी डेट ही बची है, ऐसे में अगर वे हां करें तो फिल्म की शूटिंग रखी जा सकती है. अब चूंकि शत्रुघ्न सिन्हा को देर से आने की आदत थी, जबकि अमिताभ बच्चन समय से सेट पर पहुंच जाते थे. ऐसे में उस दिन शूटिंग दो बजे ही खत्म होने का शेड्यूल रखा गया, उसके बाद सेट हटाया जाना था. शत्रुघ्न काफी देर से आए और ठीक डेढ़ बजे स्टूडियो पहुंचे.
बिना रिहर्सल एक टेक में फाइनल हो गया शॉट
स्टूडियों पहुंचने के बाद 10 मिनट में तैयार होने के बाद उन्होंने बिना रिहर्सल के ही राज खोसला से टेक करने को बोला. हर कोई शत्रुघ्न की तरफ हैरानी भरी नजरों से देख रहे थे, क्योंकि न लाइट मार्किंग, न रिहर्सल और सीधे टेक...हालांकि, राज खोसला ने ओके कर दिया और फिर शॉटगन ने जो किया, उसने खूब तालियां बटोरीं. शत्रुघ्न इस शॉट का एक और टेक देना चाहते थे. कैमरा लाइट सब ऑन लेकिन अमित जी ने उन्हें रोक दिया और गले लगाकर बोले- 'लल्ला बस करते हैं, ये परफेक्ट है, इससे बेहतर नहीं हो पाएगा.