कहते हैं कि बॉलीवुड वो नगरी है, जहां लोग मेहनत और संघर्ष से टॉप पर पहुंच जाते हैं. यूं तो हर दौर में सुपरस्टार रहे हैं, लेकिन दिलीप कुमार जैसा कोई नही हो पाया. दिलीप कुमार अपने जमाने के रोमांटिक, एक्शन और यहां तक कि ट्रेजेडी किंग भी थे. उस जमाने में राजकुमार भी कम छोटे स्टार नहीं थे, लेकिन वो जरा मूडी किस्म के थे. वैसे तो दिलीप कुमार और राजकुमार के आपस में अच्छे रिश्ते थे, लेकिन एक थप्पड़ ने इन दो दिग्गज एक्टरों के बीच दुश्मनी की ऐसी दीवार खींच दी जो 36 साल तक गिराई नहीं जा सकी.
जी हां, एक फिल्म में चले थप्पड़ के बाद दिलीप साहब ने कसम खा ली थी कि वो कभी राज कुमार के साथ काम नहीं करेंगे. हालांकि 36 साल बाद इस 36 के आंकड़े को आखिरकार एक फिल्म डायरेक्टर ने अपनी सूझ-बूझ से ठीक कर दिया. चलिए इस दिलचस्प किस्से के बारे में बात करते हैं.
राज कुमार के जब जड़ा दिलीप कुमार को थप्पड़
बात हो रही है 1959 में रामानंद सागर की फिल्म पैगाम की. इस फिल्म में राज कुमार बड़े भाई बने थे और दिलीप कुमार छोटे भाई बने थे. उस वक्त की बात करें तो दिलीप साहब एक स्टार के तौर पर गिने जाते थे और राज कुमार कुछ वक्त पहले ही एक्टिंग की दुनिया में आए थे. एक सीन में दोनों भाइयों के बीच हाथापाई होनी थी और इसी बीच राज कुमार ने दिलीप कुमार को थप्पड़ जड़ दिया. ये थप्पड़ इतनी तेज था कि दिलीप साहब सहम गए. ये थप्पड़ उनके गाल पर कम और दिल पर ज्यादा लगा. उन्होंने कहा कि वो कभी राज कुमार के साथ काम नहीं करेंगे.
सुभाष घई ने करवाई सुलह
इसके बाद सालों बीत गए लेकिन दोनों की एक साथ कोई फिल्म नहीं आई. 36 साल बाद शोमैन कहे जाने वाले सुभाष घई ने फिल्म सौदागर के लिए इन दोनों को एक साथ लाने का बीड़ा उठाया. उन्होंने कहा कि वो इस फिल्म में दो दोस्तों के रूप में दिलीप साहब और राज कुमार को कास्ट करेंगे. तब हर किसी ने यही कहा, ये बहुत मुश्किल है. उन्होंने दिलीप साहब को कहानी सुनाई और कहा कि फिल्म बहुत अच्छी है और आपका रोल केवल आप ही कर सकते हैं.
दिलीप साहब ने पूछा कि दूसरे दोस्त का रोल कौन कर रहा है तो सुभाष घई ने उनको राज कुमार साहब के बारे में कुछ नहीं बताया. फिल्म की शूटिंग शुरू होने तक दोनों स्टारों को पता नहीं था कि उनके दोस्त का रोल कौन कर रहा है. जब शूटिंग शुरू हुई तो एक दूसरे को सामने देखकर दोनों हैरान रह गए. तब सुभाष घई की चालाकी दोनों को समझ आई लेकिन तब तक देर हो चुकी थी. कहते हैं कि फिल्म की शूटिंग के दौरान भी दिलीप साहब और राज कुमार आपस में बात नहीं करते थे और इन दोनों के बीच की बात सुभाष घई पूरी करते थे. हालांकि दोनों ने अपनी भूमिकाएं शानदार तरीके से निभाई और फिल्म लोगों को पसंद आई