वो पाकिस्तानी सिंगर जिनकी लता भी थीं फैन, इंदिरा गांधी को गाना सुनाने से कर दिया था इंकार, लेकिन राजीव गांधी को सुनाया सॉन्ग

पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की पॉपुलर सिंगर नूरजहां ने सात दशक तक अपनी मधुर आवाज का जादू बिखेरा था. आज भले ही नूरजहां इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके गाए गाने आज भी लोगों को याद हैं. नूरजहां ने ना सिर्फ पाकिस्तान बल्कि भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के लिए भी कई गाने गाए थे.

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पाकिस्तानी सिंगर जिसकी लता भी थीं फैन
नई दिल्ली:

पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की पॉपुलर सिंगर नूरजहां ने सात दशक तक अपनी मधुर आवाज का जादू बिखेरा था. आज भले ही नूरजहां इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके गाए गाने आज भी लोगों को याद हैं. नूरजहां ने ना सिर्फ पाकिस्तान बल्कि भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के लिए भी कई गाने गाए थे. नूरजहां ने पंजाबी, सिंधी, बंगाली, पश्तो, हिंदी और अरबी भाषा में 10 हजार से ज्यादा गाने गाए थे. नूरजहां की आवाज का जादू कुछ ऐसा फैला था कि दिवंगत स्वर कोकिला लता मंगेशकर भी उनकी फैन बन गई थीं. नूरजहां का जन्म 21 सितंबर 1926 को अविभाजित पाकिस्तान में हुआ था. वहीं, भारत-पाक के बंटवारे के बाद वह पाकिस्तान में रहीं.

क्रिकेटर से जुड़ा था नूरजहां का नाम

नूरजहां का असली नाम अल्ला राखी वसाई था. नूरजहां को संगीत विरासत में मिला था. ऐसे में नूरजहां को एक्टिंग और सिंगिंग का शौक बचपन से ही लग गया. नूरजहां अपनी बहनों संग कोलकाता गईं और साल 1930 में फिल्म 'हिन्द के तारे'  में बतौर चाइल्ड कलाकार काम किया. इन दिनों नूरजहां की मुलाकात पॉपुलर गायिका मुख्तार बेगम से हुई और यही वो शख्स थीं, जिन्होंने अल्लाह राखी वसाई से उनका नाम नूरजहां कर दिया था. नूरजहां उन शख्सियत में शामिल हैं, जो अपनी शर्तों पर जिंदगी जीते थे. नूरजहां ने दो शादियां रचाई. साल 1942 में उनकी पहली शादी शौकत रिजवी के साथ हुई और 1953 में वह पति से अलग हो गईं. नूरजहां ने दूसरी शादी साल 1959 में एजाज दुर्रानी से रचाई, जो कि 1971 तक चली थी. गौरतलब है कि शौकत रिजवी ने अपनी किताब 'नूरजहां की कहानी मेरी जुबानी' में बताया था कि नूरजहां के संबंध एक पाकिस्तानी खिलाड़ी नजर मोहम्मद से थे.

जब इंदिरा गांधी को गाना  सुनाने से कर दिया था मना

भारत में नूरजहां के काम की बात करें तो उन्हें फिल्म जुगनू, खानदान, नौकर, दुहाई, विलेज गर्ल और बड़ी मां में देखा गया. नूरजहां की बेटियों ने एक इंटरव्यू में बताया था, 'मां इंदिरा गांधी के यहां गई थीं, उन्होंने कहा कि आप मुझे एक गाना सुनाइए, तो मां ने मना कर दिया, लेकिन जब राजीव गांधी पाकिस्तान आए तो अम्मी को डिनर पर बुलाया गया, राजीव गांधी ने कहा कि आप हमें एक गाना सुना दीजिए तो मां ने कहा कि आप हमारे मेहमान हैं और आपके लिए गाएंगे'.

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