लोकसभा चुनाव धीरे-धीरे अब खत्म होने की तरफ बढ़ रहा है. इस बार भी कई बॉलीवुड सितारे और एक्टर-एक्ट्रेस चुनावी मैदान में हैं. पॉलिटिक्स और फिल्मी सितारों का बहुत पुराना नाता रहा है. हालांकि एक बार ऐसा भी हुआ था जब बॉलीवुड की तरफ से बनी एक पॉलिटिकल पार्टी ने पूर्व पीएम इंदिरा गांधी तक को हैरानी में डाल दिया था. दावा किया जाता है कि सरकार से परेशान होकर फिल्मी सितारों ने अपनी एक राजनीतिक पार्टी बना ली थी और इमरजेंसी के बाद इंदिरा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था.
इस बात से नाराज थे सितारे
बात 1979 की है जब इमरजेंसी के बाद जाने-माने दिग्गज अभिनेता देव आनंद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ अपनी राजनीतिक पार्टी बना ली थी. दरअसल इन फिल्मी सितारों को सरकार की तारीफ करने को कहा गया था. फिल्मी सितारे इसके खिलाफ थे. उनके साथ दिग्गज अभिनेता किशोर कुमार, मनोज कुमार और कई फिल्मी सितारे थे. ये गुस्सा इंदिरा सरकार के इमरजेंसी के फैसले के खिलाफ था. इन सितारों ने आदेश मानने से मना कर दिया था जो कांग्रेस सरकार को पसंद नहीं आई. उनके गाने और फिल्में दूरदर्शन, ऑल इंडिया रेडियो पर बैन कर दिए गए. फिल्मों की शूटिंग में दिक्कतें पैदा की जा रही थीं. इसके बाद जैसे ही इमरजेंसी हटी सितारों ने मिलकर अपनी पार्टी खड़ी कर दी.
रैली देख विपक्षी पार्टियां रह गई थीं हैरान
दरअसल, आपातकाल हटने और चुनावी घोषणा होने के बाद बॉलीवुड टीम नेने मोरारजी देसाई की जनता पार्टी को समर्थन दिया और सरकार बनी.1977 में जनता पार्टी की सरकार बनी तो लेकिन ज्यादा दिन तक नहीं चली और अगस्त 1979 में गिर गई. आपसी कलह ने पार्टी को तोड़कर रख दिया. मोरारजी देसाई को पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा जिससे देव आनंद परेशान और निराश हो गए. इसी के बाद उन्होंने 14 सितंबर, 1979 को मुंबई में ताज पैलेस होटल में 'नेशनल पार्टी ऑफ इंडिया' नाम की अपनी पॉलिटिकल पार्टी बना ली. इस पार्टी को गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा और भ्रष्टाचार के खिलाफ धर्मयुद्ध बताया था. उन्होंने कुछ लोगों को चुनाव लड़ने का टिकट तक दे दिया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जब शिवाजी पार्क में उनकी पार्टी की रैली हुई तो इतनी भीड़ आ गई कि इंदिरा गांधी समेत बाकी पार्टियां दंग रह गईं. उन्हें अपनी जमीन खिसकती नजर आई.
देव आनंद ने क्यों भंग की राजनीतिक पार्टी
सुपरस्टार देव आनंद ने अपनी आत्मकथा 'रोमांसिंग विद लाइफ' में इसका जिक्र करते हुए बताया कि वो और उनके साथी लालची और मूर्ख लोगों के झुंड, स्वार्थी अवसरवादियों को सबक सिखाने की सोच रहे थे. उन्होंने लिखा जब MGR का जादू तमिलनाडु में चल सकता है तो पूरे देश में ऐसा किया जा सकता है. लेकिन कुछ ही महीने में पार्टी भंग करनी पड़ी क्योंकि 1980 के आम चुनावों के लिए सही उम्मीदवार ही नहीं मिले. जयपुर लिटरेचर फेस्ट में उन्होंने इसके बारें में बताया था.