बॉलीवुड एक्टर विनोद खन्ना ने करियर के पीक पर अपने परिवार को छोड़ दिया था और 1975 में वह आध्यात्मिक गुरु ओशो के शिष्य बन गए थे. उनके इस फैसले से परिवार और फैंस हैरान रह गए थे. तब उनके बड़े बेटे अक्षय खन्ना काफी छोटे थे. बाद में उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि तब मैं इतना छोटा था कि पापा के फैसले को समझ नहीं सकता था. हालांकि जब वह 15 साल के हुए, तब उन्होंने अपने पिता के जीवन पर ओशो के प्रभाव को समझा. कुछ साल पहले मिड-डे को दिए एक इंटरव्यू में अक्षय खन्ना ने कहा था कि परिवार छोड़ना संन्यास का ही एक हिस्सा था. न केवल अपने परिवार को छोड़ने के लिए, बल्कि त्याग देने के लिए. संन्यास का अर्थ है अपने जीवन को समग्रता में छोड़ना - परिवार इसका एक हिस्सा है. यह एक जीवन बदलने वाला निर्णय है, जिसे उन्होंने महसूस किया कि उन्हें उस समय लेने की जरूरत है. पांच साल की उम्र में इसे समझना मेरे लिए असंभव था. मैं इसे अब समझ सकता हूं.
अक्षय खन्ना ने इस बारे में भी बताया था कि विनोद खन्ना अपने परिवार के पास लौट आए थे, जब आंदोलन को लेकर मतभेद हो गए थे. उन्होंने स्पष्ट किया कि अमेरिकी सरकार द्वारा कम्यून को भंग करने के बाद उनके पिता लौट आए. सिर्फ यही सच था कि कम्यून को भंग कर दिया गया, नष्ट कर दिया गया और सभी को अपना रास्ता खोजना पड़ा. तभी वह वापस आए नहीं तो मुझे नहीं लगता कि वह कभी वापस आते.
अक्षय खन्ना ने कहा कि आध्यात्मिक नेता ओशो के लिए उनके मन में हमेशा बहुत सम्मान था. मुझे नहीं पता कि संन्यास कुछ ऐसा है, जो मैं कर सकता था. इसका मतलब यह नहीं है कि मैं उनके प्रवचनों का आनंद नहीं ले सकता, उनकी बुद्धि, कौशल और उनके सोचने के तरीके का सम्मान नहीं कर सकता. मेरे मन में उनके लिए गहरा सम्मान है. बता दें कि विनोद खन्ना का कैंसर से जूझने के बाद अप्रैल 2017 में निधन हो गया. उन्होंने 1968 में मन का मीत से बॉलीवुड में डेब्यू किया था. उन्होंने बाद में श्रीदेवी और ऋषि कपूर के साथ चांदनी समेत कई हिट फिल्मों में काम किया.