बहुत ही पक्का था इन दो सुपरस्टार्स का याराना, एक ही दिन दुनिया को कहा अलविदा

साल अलग थे लेकिन मौत की तारीख एक...इतना ही नहीं जब इनका निधन हुआ तो दोनों की उम्र करीब एक ही थी और दोनों की जान कैंसर की बीमारी से हुई थी.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
विनोद खन्ना और फिरोज खान
नई दिल्ली:

आप इत्तेफाक में यरीन रखते हैं ? अगर नहीं रखते तो शायद ये खबर पढ़ने के बाद आपको इस तरह की बातों पर यकीन आ जाए. लीजेंड्री स्टार्स और बेस्ट फ्रेंड्स विनोद खन्ना और फिरोज खान का निधन एक ही तारीख पर हुआ था. साल अलग थे लेकिन मौत की तारीख एक...इतना ही नहीं जब इनका निधन हुआ तो दोनों की उम्र करीब एक ही थी और दोनों की जान कैंसर की बीमारी से हुई थी. दोनों की बॉन्डिंग केवल फिल्मी पर्दे पर ही नहीं बल्कि असल जिंदगी में भी बहुत अच्छी थी. 

कुर्बानी और दयावान में इनकी खास बॉन्डिंग सिल्वर स्क्रीन पर भी देखने को मिली. असल जिंदगी में भी इनका आपसी प्यार भाइयों से बढ़कर था. ये दोस्ती ऐसी थी कि फिरोज खान ने 27 अप्रैल 2009 को इस दुनिया को अलविदा कहा और इसके ठीक आठ साल बाद विनोद खन्ना ने दुनिया छोड़ी. तारीख वही थी 27 अप्रैल और साल था 2017. फिरोज खान की मौत लंग कैंसर की वजह से हुई थी और विनोद खन्ना ब्लैडर कैंसर की वजह से जिंदगी की जंग हार गए थे.

बता दें कि फिरोज खान 1986 में फिल्म 'जांबाज'  में विनोद खन्ना को लेना चाहते थे...लेकिन तब तक विनोद फिल्मी दुनिया छोड़ चुके थे. विनोद खन्ना ने अपने करियर के पीक पर इंडस्ट्री को बाय कहा था. अमिताभ बच्चन के बाद एक विनोद खन्ना ही थे जिनके नाम पर फिल्में चलती थीं लेकिन वो सब छोड़कर आध्यात्म की राह पर चल निकले थे.

हालांकि किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. ओशो के आश्रम का नाम कुछ कंट्रोवर्सी से घिरा तो विनोद खन्ना ने अपनी सेकेंड इनिंग के लिए बॉलीवुड में आने का फैसला लिया...ऐसे में फिरोज खान उन प्रोड्यूसर्स में थे जिन्होंने उन्हें काम दिया. फिरोज ने उन्हें 'दयावान' के लिए साइन किया था. इसके अलावा रमेश सिप्पी की 'सत्यमेव जयते' भी उनकी शुरुआती कमबैक फिल्मों में से एक है.

Featured Video Of The Day
Syed Suhail | Bihar Elections 2025 की वोटिंग के पहले आखिरी दिन सारे दिग्गजों का शक्ति प्रदर्शन