इस सुपरस्टार ने कभी किया था टिकट काउंटर पर काम, खाई थी कसम कि 25 साल में नहीं हुआ हिट तो छोड़ दूंगा एक्टिंग, बेच दी फिल्मफेयर की ट्रॉफी

इस सुपरस्टार के लिए आसान नहीं सिनेमा की दुनिया में जगह बनाना. कभी बेची टिकट तो कभी खाना पड़ी कसम. एक समय बेच डाला अपना फिल्मफेयर अवॉर्ड तक.

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इस सुपरस्टार के लिए आसान नहीं फिल्म इंडस्ट्री में कदम जमाना
नई दिल्ली:

फिल्म इंडस्ट्री में पांव जमाना आसान काम नहीं है. वो भी उस समय जब आपका फिल्म इंडस्ट्री से पहले का कोई नाता नहीं रहा हो. लेकिन साउथ का एक ऐसा ही सुपरस्टार है जिसने अपने दम पर पहचान बनाई और तेलुगू इंडस्ट्री में एक मुकाम हासिल किया. हम बात कर रहे हैं तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री के सुपरस्टार विजय देवरकोंडा की. अर्जुन रेड्डी से लोकप्रियता हासिल करने वाले विजय ने अपने करियर की शुरुआत में कई चुनौतियों का सामना किया. उन्होंने कई बार अपने इंटरव्यू में बताया है कि उनका किस तरह का संघर्ष रहा है. विजय देवरकोंडा का आज बर्थडे हैं और वो 36 साल के हो गए है. आइए जानते हैं उनसे जुड़े कुछ मजेदार किस्से.

विजय देवरकोंडा ने टिकट काउंटर पर किया काम

विजय देवरकोंडा के लिए फिल्म इंडस्ट्री में आना आसान नहीं था. उन्हें ढेर सारे रिजेक्शन झेले और कॉलेज के बाद दो-तीन साल तक सिर्फ छोटे-मोटे रोल ही करते रहे. जीक्यू को दिए इंटरव्यू में विजय ने अपने थिएटर के दिनों को भी याद किया था. उन्होंने बताया था, 'थिएटर में आपको टिकट बेचने से लेकर कॉस्ट्यूम और बैकस्टेज मैनेज करने तक सब कुछ करना पड़ता है, तब जाकर आपको अभिनय का मौका मिलता है.' 

विजय देवरकोंडा ने तय की थी 25 साल की उम्र की डेडलाइन

विजय ने फिल्म इंडस्ट्री में आने से पहले फैसला किया था कि अगर 25 साल की उम्र तक सफलता नहीं मिली, तो वे स्क्रिप्ट लेखन या निर्देशन में हाथ आजमाएंगे. आखिरकार, 25वें जन्मदिन से ठीक पहले विजय को ‘येवड़े सुब्रमण्यम' में रोल मिला, जिसने उन्हें स्टार बना दिया. 

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विजय देवरकोंडा ने बेच दिया था अपना फिल्मफेयर अवॉर्ड

विजय देवरकोंडा ने कुछ समय पहले गैलाट्टा प्लस को दिए एक इंटरव्यू में विजय ने कहा, 'मुझे सर्टिफिकेट्स और अवॉर्ड्स में ज्यादा दिलचस्पी नहीं है. कुछ अवॉर्ड्स शायद मेरे ऑफिस में हों, कुछ मेरी मां ने संभालकर रखे होंगे, और कुछ मैंने दे दिए.' विजय ने बताया था कि उन्होंने अपने पहले फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर अवॉर्ड की नीलामी की थी. इस नीलामी से मिले पैसे को उन्होंने दान कर दिया. विजय के मुताबिक, यह उनके लिए किसी ट्रॉफी को घर में सजाने से कहीं ज्यादा कीमती और यादगार अनुभव था. विजय ने यह भी बताया था कि उन्होंने एक अवॉर्ड अपने ‘अर्जुन रेड्डी' के डायरेक्टर संदीप रेड्डी वांगा को भी गिफ्ट किया था.

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