बॉलीवुड के नामचीन निर्देशक पार्थो घोष का आज मुंबई में निधन हो गया वो दिल संबंधित समस्याओं से जूझ रहे थे, वो 75 साल के थे और पत्नी गौरी घोष के साथ मुंबई के मड आइलैंड में रहते थे. फ़िल्मी दुनिया के लिए यह बेहद बड़ा नुक़सान है. पार्थो दा केवल निर्देशक नहीं, बल्कि ऐसे किस्सागो थे जो कहानी के ज़रिए आम ज़िंदगी की परछाइयाँ पर्दे पर उतार देते थे.
बतौर सहायक निर्देशक की शुरुआत
1985 में असिस्टेंट डायरेक्टर से शुरुआत करने वाले पार्थो घोष को असली पहचान 1991 की सुपरहिट 100 डेज से मिली. इस सस्पेंस‑थ्रिलर ने दर्शकों को चौंकाया और दिखा दिया कि पार्थो दा कहानी कहने का अनोखा सलीक़ा रखते हैं.
मिथुन के साथ दी कमर्शियल हिट
दलाल (1993) में मिथुन चक्रवर्ती का यादगार किरदार हो या तीसरा कौन (1994) का ताज़ा ट्रीटमेंट—हर फ़िल्म ने साबित किया कि पार्थो घोष रीमेक को भी नए रंग देने में माहिर थे.
क़िस्सों की ख़ास बुनावट
उनकी फिल्मों की खूबी यह थी कि वे ज़िंदगी से सीधे जुड़ती थीं. गानों‑ग्लैमर के दौर में भी पार्थो दा सादगी से कहानियां कहते थे, और शायद इसी वजह से उनकी फ़िल्मों का असर दिल पर गहरा होता था.
इंडस्ट्री में शोक
निधन की खबर से पूरी फिल्म बिरादरी उदास है. एक्ट्रेस ऋतुपर्णा सेन गुप्ता ने पार्थो घोष को याद करते हुए लिखा “ दिल बहुत दुखी है, समझ नहीं आ रहा क्या कहें. हमने एक शानदार कलाकार, कमाल के डायरेक्टर और बहुत अच्छे इंसान को खो दिया. पार्थो दा, आपने जो जादू परदे पर रचाया, वो हमेशा याद रहेगा. ने सोशल मीडिया पर यादें साझा करते हुए लिखा” यादों की विरासत. पार्थो घोष चले गए, पर उनकी फ़िल्में—उनका अंदाज़—हमेशा ज़िंदा रहेगा. कहानी कहने की उनकी दुनिया वक्त के साथ कभी फीकी नहीं पड़ेगी.