वरुण धवन ने खोला राज! क्यों नहीं लाते अपने मैनेजर को सेट पर? फिल्मों की नाकामी पर दिया बड़ा बयान

बॉलीवुड में फिल्में बॉक्स ऑफिस पर दम तोड़ रही हैं और अभी तक 2025 में सिर्फ दो ही फिल्में हैं, जिन्होंने बॉक्स ऑफिस पर खनक पैदा की. इनमें से एक थी ‘छावा’ और दूसरी ‘सैयारा’. बाकी फिल्में कुछ खास नहीं कर पाईं.

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'सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी' में नजर आएंगे वरुण धवन
नई दिल्ली:

बॉलीवुड में फिल्में बॉक्स ऑफिस पर दम तोड़ रही हैं और अभी तक 2025 में सिर्फ दो ही फिल्में हैं, जिन्होंने बॉक्स ऑफिस पर खनक पैदा की. इनमें से एक थी ‘छावा' और दूसरी ‘सैयारा'. बाकी फिल्में कुछ खास नहीं कर पाईं. फिल्मों की नाकामयाबी में ट्रेड पंडितों का मानना है कि इसमें काफी हद तक फिल्म का बजट जिम्मेदार है, क्योंकि एक्टर्स की फीस से लेकर उनके एंटॉरेज, यानी कलाकार के साथ जो सहायकों का काफिला चलता है, वह भी फिल्म का बजट बढ़ाने में खासा जिम्मेदार है. इसी के चलते ‘सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी' के ट्रेलर लॉन्च पर पत्रकारों ने वरुण धवन और जान्हवी कपूर से इस पर सवाल पूछे.

वरुण के साथ सेट पर नहीं रहते मैनेजर

जब वरुण से पूछा गया कि वे अपने साथ कितने लोग लेकर चलते हैं, तो उन्होंने करीब छह लोगों के नाम गिनाते हुए कहा, "मेरे दो मैनेजर हैं, मोनिका और इशिता. लेकिन मैं कभी उन्हें अपने सेट पर नहीं लाता, क्योंकि मेरे पिता ने एक नियम बनाया था कि कोई मैनेजर सेट पर नहीं आएगा. उनके सेट पर कभी मैनेजर नहीं आता था, तो मैं भी कभी उन्हें सेट पर नहीं लाता. मैं उन्हें कभी कहीं साथ नहीं ले जाता".

आगे बोलते हुए वरुण ने कहा, "हर प्रोड्यूसर को भी एक्टर्स के साथ परिवार जैसा व्यवहार करना चाहिए, लेकिन अक्सर ऐसा होता नहीं है. हां, यह भी सही है कि फिल्म नाकाम होने के आरोप आखिरकार एक्टर्स पर ही आते हैं. जब भी कोई ब्लाइंड आर्टिकल या ट्रोलिंग होती है, सारा दोष उन्हीं पर डाला जाता है. इसलिए अच्छे प्रोड्यूसर्स की भी जरूरत है. एक्टर्स को भी बेहतर व्यवहार करना चाहिए, लेकिन प्रोड्यूसर्स को भी ज्यादा दोस्ताना और पारिवारिक माहौल बनाना होगा. अगर कोई एक्टर काम नहीं करना चाहता तो उसके साथ जबरदस्ती नहीं होनी चाहिए".

फिल्म मार्केट के बदलते समीकरण के बारे में वरुण ने निर्माताओं को प्राथमिकता देने की बात कही और बोले, "मेरा मानना है कि अभी के समय में जब सिनेमा परफॉर्म कर रहा है, OTT की कीमतें उतार-चढ़ाव कर रही हैं, सैटेलाइट की कीमतें भी बदल रही हैं, तो सबसे जरूरी है कि निर्माता (प्रोड्यूसर) को प्राथमिकता दी जाए. क्योंकि अंततः वही लोग हैं जो सबसे बड़ा जोखिम उठाते हैं. मुझे लगता है कि यह कुछ वैसा ही है जैसा पहले के जमाने में हुआ करता था. आप जानते हैं, लोग पहले कैसे फिल्में बनाया करते थे. उम्मीद है कि अब किसी को वैसे हालात से नहीं गुजरना पड़ेगा, जैसे पहले की डरावनी कहानियों में सुनते हैं. मैंने अपने बचपन में देखा है, दोस्तों के घर तक नीलाम हो गए, उन्होंने घर तक खो दिए".

जान्हवी ने की धर्मा प्रोडक्शंस की तारीफ 

वहीं जान्हवी ने इस पर बात करते हुए धर्मा प्रोडक्शंस की तारीफ की और बोलीं, "बिलकुल, जैसे उन्होंने कहा- धर्मा परिवार जैसा है और वे सबका खयाल रखते हैं. सिर्फ हमारा नहीं, बल्कि पूरी टीम का". आगे बोलते हुए जान्हवी ने ‘सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी' के गाने ‘पनवड़िया' की मिसाल देते हुए कहा, "आपने ‘पनवड़िया' गाना देखा ही होगा न. मेरा मानना है कि वह सबसे बड़ा गाना और सबसे बड़ा सेट था. हर शॉट से पहले वरुण हमारे पास आते और कहते- ‘पता है इस गाने में कितना पैसा लगा है? पता है कितने का सेट किया है? सो जस्ट किल इट (जमके नाचो). तो हम पूरे दिन उसी प्रेशर में नाचते थे. हां, तो मैं यही कहूँगी कि वह पूरी जिम्मेदारी लेते हैं और उसे बखूबी निभाते हैं.”

यह बात फिल्म जगत के कई फिल्मकार कह चुके हैं कि अगर बजट नियंत्रण में हो तो फिल्म की कामयाबी के आसार ज्यादा होते हैं. शायद यह बात ज्यादा से ज्यादा कलाकार और निर्माता सुनें और इस पर अमल करने का सोचें.

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