हाल ही में रिलीज हुई पहली जौनसारी फिल्म ‘मेरे गांव की बाट' जगह–जगह धूम मचा रही है. उसमें जिस कलाकार ने मुख्य किरदार निभाया है वह कोई और नहीं देहरादून से निकलकर अदाकारी की दुनिया में अपना लोहा मनवा रहा अभिनव चौहान है. यह उनकी दूसरी फिल्म है. इससे पहले वह गढ़वाली सुपरहिट फिल्म ‘असगार' में अपनी अमिट छाप छोड़ चुके हैं. अभिनव की मुख्य भूमिका वाली असगार का जादू इस कदर दर्शकों के सिर चढ़कर बोला कि फिल्म ने देश के 15 शहरों में जबरदस्त तहलका मचाया. दो क्षेत्रीय फिल्मों की अपार सफलता को देखते हुए अभिनव को अब बॉलीवुड से ऑफर आने लगे हैं.
देहरादून के प्रतिष्ठित स्कूल सेंट जूडस से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद अभिनव ने ऐन मेरी स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की. फिर इकोनॉमिक्स से ग्रेजुएशन ऑनर्स करने के लिए उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में दाखिला लिया. यही उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट भी था. पढ़ाई के साथ–साथ जनसरोकार से जुड़ी एक शॉर्ट फिल्म बनाकर उन्होंने अपने भविष्य की दिशा भी तय कर दी. उन्होंने इस फिल्म का न सिर्फ निर्देशन किया बल्कि उसमें मुख्य किरदार भी निभाया. इस फिल्म के लिए उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रथम पुरस्कार मिला. छात्र जीवन में ही अभिनव ने MTV के रियलिटी शो Mr. & Miss 7 States में प्रतिभाग किया. Fun se Fantasy (Jiocinema), Doon Kaand (Voot), Peshawar (MX Player) और Eklavya (Doordarshan) जैसी चर्चित वेबसरीज में काम करके अभिनव ने लगातार अपने अभिनय को निखारा.
दिल्ली में अपने जीवन के कुछ महत्वपूर्ण साल गुजारने के बाद चकराता देहरादून के मूल निवासी अभिनव चौहान ने मायानगरी मुंबई का रुख किया. जहां उन्होंने The Actors Truth Acting School के ओनर सौरभ सचदेवा के साथ कई वर्कशॉप की. नाम के मुताबिक ही अभिनव बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं. उनकी रगों में अदाकारी और सुर में सरस्वती का वास है. गायिकी के क्षेत्र में भी कम समय में वह काफी मशहूर हो चुके हैं. सुप्रसिद्ध गायिका वंदना श्रीवास्तव से प्रशिक्षण हासिल करने के बाद अब तक वह Thandi Thandi Hawa, Ram ki Kasam, Meri Sheela और Haripur me anand sajega जैसी कई हिट म्यूजिक वीडियो दे चुके हैं. उनका Kodo ka kodua गीत पहले ही कामयाबी के झंडे गाड़ चुका है. अपनी इसी प्रतिभा के बूते अभिनव को नई दिल्ली में आयोजित 73वें गणतंत्र दिवस समारोह में उत्तराखण्ड की ओर से ‘देवभूमि की पावन धरती' नमक गीत गाने का मौका मिला था, जहां उनको खूब सराहना मिली.
जौनसार बावर की पहली फीचर फिल्म "मैरै गांव की बाट" की बात करें तो यह फिल्म देहरादून के सेंट्रियो मॉल में बीते 5 दिसम्बर से हाउसफुल चल रही है. विकासनगर, मसूरी समेत 4 शहरों ने भी फिल्म देखने के लिए पिक्चर हॉल के बाहर टिकट की मारामारी है. दर्शकों की भारी डिमांड को देखते हुए अब इस फिल्म को मुम्बई और दिल्ली जैसे महानगरों में भी प्रदर्शित करने की तैयारी है.
निसंदेह यह फिल्म न सिर्फ जौनसार बावर की संस्कृति को प्रचारित कर रही है बल्कि क्षेत्रीय भाषाओं की ऐसी फिल्में रोजगार सृजन व कारोबार की दिशा में भी गेम चेंजर साबित होंगी.
जौनसार बावर की पहली फीचर फिल्म की परिकल्पना कई वर्षों से जौनसार बावर के फटेऊ गांव निवासी तथा सूचना विभाग में संयुक्त निदेशक के पद पर कार्यरत के.एस.चौहान के मन में थी, जिसको उन्होंने निर्देशक अनुज जोशी के साथ मिलकर धरातल पर उतारा. बड़े पर्दे की जौनसार बावर की यह पहली फिल्म अब इतिहास के पन्नों पर अंकित हो गई है. श्री चौहान राष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखण्ड राज्य की कला एवं संस्कृति को पहचान दिला चुके हैं. वह गणतंत्र दिवस के अवसर पर कर्तव्य पथ पर निकलने वाली झांकी को कई बार पुरस्कार भी दिला चुके हैं.