बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त (Sanjay Dutt) की नई फिल्म 'तोरबाज (Torbaaz)' आतंकवाद पर क्रिकेट की जीत की उम्मीद की कहानी है. यह फिल्म बम और बंदूकों की जमीन पर बैट और बॉल की जीत का शानदार दस्तावेज है. क्रिकेट की दुनिया में अफगानिस्तान की क्रिकेट टीम ने अपनी शानदार परफॉर्मेंस से दुनिया भर की कई ताकतवर टीमों को घुटनों पर ला दिया है, मगर दशकों से आतंकवाद की तबाही झेल रहे अफगानिस्तान के लिए क्रिकेट टीम बनाना आसान नहीं रहा होगा. अफगानिस्तान में इस समय बहुत से क्रिकेटर हैं, जो रिफ्यूजी कैंप में रहे हैं और अब उस देश की क्रिकेट टीम में हैं. जिस देश (अफगानिस्तान) के बच्चों को क्रिकेट की गेंद से ज्यादा आसानी से बम मिल जाते हों, वहां उनकी सोच को सही दिशा में ले जाना काफी मुश्किल काम है. खासकर तब, जब इस टीम के अधिकांश सदस्य रिफ्यूजी कैंप से आए हों और उनका बचपन तबाही और बर्बादी के मंजर में बीता हो, तो गन और क्रिकेट के बैट में किसी को चुनना मुश्किल फैसला हो जाता है.
फिल्म के निर्देशक गिरीश मलिक (Girish Malik) ने बताया कि 'तोरबाज (Torbaaz)' फिल्म नहीं है, यह युद्धग्रस्त अफगानिस्तान और उसके लोगों की भावनाओं का जीता-जागता सबूत है. फिल्म में दिखाया गया है कि क्रिकेट ने अफगानिस्तान को उस समय कैसे बचाया, जब जेहाद के नाम पर तालिबान मासूम बच्चों को प्रशिक्षित आत्मघाती हमलावरों में बदल रहा है. उन्होंने आगे कहा, 'आतंकवाद केवल अफगानिस्तान में नहीं है. यह पूरी दुनिया की समस्या बन चुकी है. फिल्म में अफगानिस्तान का पॉजिटिव पहलू दिखाया गया है. फिल्म में दिखाया गया है कि अपने जीवन में आतंकवाद की पीड़ा झेल चुका एक व्यक्ति किस तरह अफगानिस्तान के रिफ्यूजी कैंप में रह रहे बच्चों को बैट बॉल और पेपर थमाता है. यह फिल्म संदेश देती है कि खेलकूद और शिक्षा से ही हम तालिबानी आतंकवाद से जूझ रहे बच्चों का भविष्य संवार सकते हैं. 'तोरबाज' सुकुन भरी जिंदगी, इंसानियत, ख्वाबों को पूरा करने की और एक बेहतर कल की उम्मीद की कहानी है.'
वहीं, फिल्म के निर्माता पुनीत सिंह (Puneet Singh) ने बताया, 'पाकिस्तान के पूर्व कप्तान रमीज राजा ने क्रिकेट और आतंकवाद से संबंधित एक बयान को देखकर हमें यह फिल्म बनाने का आइडिया आया. हमने उसी समय यह आतंकवाद, क्रिकेट और बच्चों को जोड़ती हुए वह फिल्म बनाने का फैसला किया, जिससे ग्लोबल लेवल पर लोग कनेक्ट हो सके. इस फिल्म को मिले दुनिया भर के लोगों के प्यार को देखने के बाद हम कह सकते हैं कि ग्लोबल लेवल पर हमारे इस प्रयास की काफी तारीफ की गई है. संजय दत्त बहुत अच्छे एक्टर और बेहद बेहतरीन इंसान हैं. उनकी याददाश्त काफी तेज है. उन्हें फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ने की जरूरत नहीं होती, वह सिर्फ स्क्रिप्ट पर एक नजर डालकर शॉट देने के लिए रेडी हो जाते हैं. मुझे उनके साथ फिर एक फिल्म करने की इच्छा है.'