8 नवंबर 2016 की शाम जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में नोटबंदी का ऐलान किया तो हर तरफ जैसे अफरातफरी से मच गई और उसी दिन आधी रात से 500 और 1000 के नोट चलन से बाहर कर दिए गए. इसके बाद बैंकों और एटीएम के आगे लंबी-लंबी कतारें, लाइनों में खड़े परेशान होते लोग और अपने ही पैसों तक मुश्किल पहुंच ने हर आम और खास के जीवन में बड़ा बदलाव ला दिया. उस समय की उलझनों और अलग-अलग परिस्थितियों पर कई फिल्में भी बनी हैं, जो नोटबंदी के दौर की सटीक तस्वीर पेश करती हैं. आज हम उन्हीं फिल्मों की बात कर रहे हैं.
कैश, डिज्नी प्लस हॉटस्टार
नवंबर 2021 में नोटबंदी की पृष्ठभूमि पर बनी कॉमेडी फिल्म कैश रिलीज हुई, इस फिल्म में अमोल पाराशर, काविन दवे, स्वानंद किरकिरे, स्मृति कालरा और गुलशन ग्रोवर लीड रोल में नजर आए. फिल्म में एक ऐसे सपने देखने वाले लड़के की कहानी दिखाई गई, जो अपना खुद का बिजनेस करना चाहता है, लेकिन वह दो बार फेल हो चुका है. ऐसे में जब प्रधानमंत्री नोटबंदी का ऐलान करते हैं तो उसे मौका मिलता है और वो पुराने नोटों को ठिकाने लगाने का बिजनेस शुरू करता है.
चॉक्ड: पैसा बोलता है, नेटफ्लिक्स
फिल्म चॉक्ड की कहानी नोटबंदी यानी डिमोनेटाइजेशन पर बेस्ड है. फिल्म निम्न मध्यम परिवार की कहानी दिखाती है. कहानी बैंक में काम करने वाली महिला सरिता पिल्लई की है, जो अपने बेरोजगार पति और बेटे के साथ वन रूम अपार्टमेंट में रहती है. सरिता के चोक्ड सिंक की पाइप से प्लास्टिक में बंधी नोट की गड्डियां निकलने लगती हैं और कहानी इसी के साथ कई ट्विस्ट लेते हुए आगे बढ़ती है.
पुतम पनम, डिज्नी प्लस हॉटस्टार
मम्मूटी की फिल्म 'पुतम पनम' 2017 में रिलीज हुई थी. इस मलयालम क्राइम थ्रिलर को रंजीत ने डायरेक्ट किया है और इसमें बैजू, मामूक्कोया, हरीश पेरूमन्ना लीड रोल में हैं. फइल्म की कहानी काले धन और नोटबंदी को लेकर बुनी गई है.
शून्योता
नोटबंदी की पृष्ठभूमि पर आधारित बांगला फिल्म शून्यता में नोटबंदी के दौरान आम लोगों को हुई परेशानी को दिखाया गया है. फिल्म के कई सीन्स पर सेंसर बोर्ड ने कैंची चला दी थी. फिल्म का निर्देशन शुवेंदु घोष ने किया था.
सही है नोटबंदी
नोटबंदी के दौरान भ्रष्ट नेताओं और इस परिस्थिति का फायदा उठाने वाले व्यापारियों की कहानी मराठी भाषा की फिल्म 'सही है नोटबंदी' में दिखाया गया है. फिल्म में कॉलेज छात्र की हत्या हो जाती है और फिर पुलिस इस मर्डर मिस्ट्री को सुलझाने में लग जाती है. फिल्म के निर्देशन बालासाहेब गोरे ने किया है, मनोज टाकने इस फिल्म में लीड रोल में हैं.
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