Top 10 Sawan Song: सावन का महीना समझिए कि बस आ ही चुका है. प्यासी धरती तपते नैन, सबको इस घड़ी का शिद्दत से इंतजार होता है कि कब बारिश की बूंदे कुदरत को फिर से संवार दें. सावन का ये महीना बॉलीवुड के गीतकारों का फेवरेट महीना है. मूड कोई भी हो रोमांस या ब्रेकअप, मिलन या जुदाई सावन की बूंदों से हर जज्बात सराबोर ही नजर आएगा. बॉलीवुड ब्लैक एंड व्हाइट से रंगीन हो गया पर सावन का कोई तोड़ नहीं ढूंढ सका. जिस पर इतने खूबसूरत और सुरमयी गीतों को बुन सकें. तो अब जब सावन नजदीक है तो आप भी सुनिए सावन के कुछ चुनिंदा गीत.
सावन का महीना पवन करे ‘सोर' (मिलन)
सावन के महीने में जब सायं सायं हवा चलती है पवन के उस शोर के साथ गीत के यही बोल कानों में गूंजते हैं. और मन ही मन करेक्शन भी हो जाता कि शोर नहीं बाबा सोर-सोर. सावन में जिया यूं न डोले तो इस हंसते खिलखिलाते मौसम का मजा ही क्या है.
आया सावन झूमके (आया सावन झूम के)
गर्मी में तपती धरती और सूखती जमीन पर जब बदरा की बूंदे पड़ती हैं तो मन मयूर कुछ यूं ही झूम उठता है. हवाओं के हिचकोलों पर सवार बदरा बरसते हैं तो सावन का स्वागत कुछ इसी अंदाज में होता है जैसे आशा पारेख और धर्मेंद्र इस गीत में कर रहे हैं.
सावन के झूले पड़े (जुर्माना)
सावन झूम कर बरसे तो धरती ही नहीं मन की प्यास भी बुझा जाता है. पर वो क्या करें बिन साजन जिनका सावन रीता ही बीत रहा है. उनके पास सावन के झूलों में उसकी याद करने के अलावा रास्ता ही क्या है. इस गाने में राखी का दर्द भी कुछ यूं ही नजर आ रहा है.
कुछ कहता है ये सावन (मेरा गांव मेरा देस)
पिया के राज उनकी सजनी जाने न जाने सावन जरूर जानता है. और सजनी के दिल की बात साजन तक पहुंचाने का काम भी सावन की बूंदों को ही पूरा करना है. इसलिए तो जब धर्मेंद्र का सवाल होता है कि ये सावन कहता क्या है, तो आशा पारेख का जवाब होता है शाम सवेरे दिल में मेरे तू रहता है.
अब के सजन सावन में (चुपके-चुपके)
दिल मिलाने वाले दिल तोड़ने वाले सावन की चुहलबाजियां भी कुछ कम नहीं. सावन में मिलो तो भी दिल का संभलना मुश्किल और न मिलो तो भी. अब शर्मिला टैगोर चाह कर भी इस सावन में अपने सजन से दूर हैं तो ये तरसना, तड़पना लाजमी भी तो है.
लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है (चांदनी)
सावन में जुदाई के दर्द की टीस कैसे महसूस होती है. ये गाना सुनिए. विनोद खन्ना का दर्द हर शब्द के साथ सावन की बूंद बन कर बरस रहा है. उनका प्यार उन्हें छोड़ कर हमेशा हमेशा के लिए जो चला गया है.
रिमझिम गिरे सावन (मंजिल)
बारिश की बूंदे तपती जमीन पर गिरे और जो धुआं उठे. बस वही धुआं जब प्रीतम की याद से मन को सुलगा दे तो कुछ ऐसा ही गीत जुबां से फूटता है. अमिताभ बच्चन और मौसमी चटर्जी की खूबसूरत कैमिस्ट्री से सजा गीत. नाजुक से जज्बातों की सुरमयी कहानी है.
तुम्हें गीतों में ढालूंगा, सावन को आने दो (सावन को आने दो)
मिलने-बिछड़ने तक तो ठीक है यहां तो प्रेमी अपनी प्रेमिका को ही गीतों में ढाल लेना चाहता है. पर उसके लिए भी इंतजार है सावन का. क्योंकि यही खूबसूरत मौसम तो मजबूर कर देता है आशिक को अपने माशूक पर प्यार भरा गीत लिखने के लिए. गीत में अरूण गोविल भी जरीना वहाब को शायद यही समझा रहे हैं.
हाय हाय ये मजबूरी (रोटी, कपड़ा और मकान)
ये गीत सुना क्या आपने. नहीं सुना हो तो अब सुन लीजिए और समझ लीजिए कि नौकरी के आगे सावन की कीमत लाखों की है. वर्ना क्यों जीनत अमान इतने नखरे दिखा कर मनोज कुमार को यूं सावन का हवाला देकर रोकने की कोशिश करतीं.
मैं प्यासा तुम सावन (फरार)
सावन पर बना ये गीत. आपको यकीन दिलाएगा कि सावन सिर्फ मिलने बिछड़ने, प्यार और तकरार का नाम नहीं. ये एक इत्मीनान भी तो है कि जब कोई नहीं तो इस प्यासे का सहारा सिर्फ तुम हो. अमिताभ बच्चन के सवाल पर हर बार यही ढांढस तो बंधा रही हैं शर्मिला टैगोर.