हिंदी सिनेमा में टॉम ऑल्टर का रुतबा बेहद अलग ही था. वह न केवल एक शानदार एक्टर थे, बल्कि खेल पत्रकार भी थे. उन्होंने क्रिकेट के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर का पहला टीवी इंटरव्यू लिया था. तब सचिन महज 15 साल के थे और उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम के लिए डेब्यू भी नहीं किया था. यह छोटा सा किस्सा टॉम की जिंदगी और करियर की उस खासियत को दर्शाता है जो उन्हें अन्य कलाकारों से अलग बनाती थी.
टॉम ऑल्टर का जन्म 22 जून 1950 को मसूरी में हुआ था. उनका परिवार भारत-पाकिस्तान विभाजन से पहले लाहौर में रहता था, लेकिन बाद में उनके माता-पिता भारत आ गए. वे बचपन से ही भारतीय भाषा और कला के प्रति आकर्षित थे. टॉम की शक्ल और रंग-रूप देखकर लोग उन्हें विदेशी समझते थे, लेकिन वे खुद को पूरी तरह से भारतीय मानते थे. हिंदी और उर्दू भाषा पर उनकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि वे भाषा के विशेषज्ञों में गिने जाते थे. बचपन से ही उनका झुकाव अभिनय की ओर था. इसी के चलते उन्होंने अपनी पढ़ाई पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) से की, जहां उन्होंने एक्टिंग की बारीकियां सीखी.
उनका फिल्मी करियर 1976 में धर्मेंद्र की फिल्म 'चरस' से शुरू हुआ. तब से लेकर 2017 तक उन्होंने लगभग 300 फिल्मों में काम किया. टॉम के अभिनय की खासियत थी उनकी आवाज और स्टाइल, जिससे वे अंग्रेज अफसर या विदेशी किरदारों में बिल्कुल फिट बैठते थे. उनकी फिल्मों की लिस्ट में 'शतरंज के खिलाड़ी', 'क्रांति', 'गांधी', 'आशिकी', 'वीर-जारा' जैसी कई हिट फिल्में शामिल हैं. उनका जादू थिएटर पर भी देखने को मिला. उन्होंने मिर्जा गालिब, मौलाना अबुल कलाम आजाद, बहादुर शाह जफर जैसे ऐतिहासिक किरदारों को बखूबी जीवंत किया.
टॉम ऑल्टर की जिंदगी में खेल पत्रकारिता का भी अहम हिस्सा था. 1980 और 1990 के दशक में वे स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट के रूप में काम करते थे. इसी दौरान उन्होंने सचिन तेंदुलकर का पहला टीवी इंटरव्यू लिया. उस समय सचिन भारतीय क्रिकेट टीम में नहीं थे.
टॉम के अनुसार, उन्हें मुंबई में यह खबर मिली थी कि दिलीप वेंगसरकर के बाद एक और बेहतरीन बल्लेबाज उभर रहा है. वह 15 साल का सचिन तेंदुलकर था. इस खबर ने टॉम को सचिन से मिलने और उनका इंटरव्यू लेने के लिए प्रेरित किया. यह इंटरव्यू क्रिकेट के इतिहास में एक खास मोड़ था, क्योंकि टॉम ने उस वक्त सचिन की प्रतिभा को पहचान लिया था, जो आगे चलकर भारतीय क्रिकेट का अभिन्न हिस्सा बने.
एक्टर और पत्रकार के अलावा, टॉम ऑल्टर एक लेखक भी थे. उन्होंने तीन किताबें लिखीं, जो उनकी गहरी सोच और कला के प्रति लगन को दर्शाती हैं. उन्हें 2008 में भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया, जो भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है. यह सम्मान उनके फिल्मों, थिएटर और सांस्कृतिक योगदान के लिए दिया गया था. टॉम ऑल्टर का निधन 29 सितंबर 2017 को हुआ. वे लंबे समय से स्किन कैंसर से पीड़ित थे. वह अपने निभाए गए किरदारों के जरिए आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है.